प्रभु का साक्षात्कार सिर्फ मानव शरीर में ही संभव : साध्वी
जागरण संवाददाता, नवांशहर : श्री गोमतीनाथ मंदिर में रविवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर सत्सं
जागरण संवाददाता, नवांशहर : श्री गोमतीनाथ मंदिर में रविवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर सत्संग सभा करवाई गई।
इस दौरान प्रवचन करती हुई साध्वी हरप्रीत भारती ने कहा कि हम अपने शरीर के भरण-पोषण में ही लगे रहते हैं। शरीर से अत्याधिक लगाव की प्रवृत्ति ही हमें शाश्वत सत्य से दूर करती है। ऐसे लोगों के लिए परमात्मा का साक्षात्कार सहज नहीं है। शरीर से अत्याधिक लगाव अंत में विपत्ति की ओर ले जाता है। शरीर तो एक पिंजरा है, जिसमें आत्मा निवास करती है। जब पिंजरे से पंछी उड़ जाता है, तो पिंजरे की कोई परवाह नहीं करता है। उसी प्रकार जब जीवन का पंछी उड़ जाता है, तो शरीर पीछे छूट जाता है उसकी भी कोई परवाह नहीं करता है। साध्वी ने कहा कि मनुष्य मरणधर्मा है, इसलिए उसे आवश्यक रूप से यह मानव शरीर छोड़ना ही होगा। केवल आत्मा ही अनश्वर है। सारी समस्या की जड़ इसी गलत धारण से शुरू होती है कि मनुष्य मानता है कि वह केवल शरीर ही है। यह गलत विश्वास वह सारा जीवन संजोये रखता है। उसे अपना शरीर सबसे अधिक प्रिय है और उसे सजाने संवारने में वह हर संभव सावधानी बरतता है। उसके मन और बुद्धि उसे इस गलत धारणा से पार जाने ही नहीं देते है, लेकिन यह भी सही है कि मानव जीवन सबसे मूल्यवान है। ईश्वर का साक्षात्कार केवल इस मानव शरीर में ही संभव है। अन्य किसी प्राणी को यह सौभाग्य प्राप्त नहीं है। सचमुच हम एक लघु ब्रह्मांड हैं, जिसमें समूचा ब्रह्मांड समाया हुआ है।
अंत में उन्होंने बताया कि सारी बातों का सारांश यह है कि हम अमरत्व की संतानें हैं, जो माया के प्रभाव से नश्वरता के दलदल में फंस गए हैं। आत्म साक्षात्कार ही हमें इस दलदल से बाहर निकाल सकता है और वह केवल सद्गुरु ही करवा सकता है।