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सरकारी बस बनी दुल्हन की डोली और ऑटो से पहुंची ससुराल, कारण जान कर करेंगे तारीफ

नवांश‍हर में एक एनअारआइ जोड़ी ने अद्भूत मिसाल कायम की। दूल्‍हा शादी के लिए बरात के संग सरकारी बस में पहुंचा और शादी के बाद दूल्‍हा व एनआरआइ दुल्‍हन सरकारी बस में ही गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 07:54 PM (IST)
सरकारी बस बनी दुल्हन की डोली और ऑटो से पहुंची ससुराल, कारण जान कर करेंगे तारीफ
सरकारी बस बनी दुल्हन की डोली और ऑटो से पहुंची ससुराल, कारण जान कर करेंगे तारीफ

नवांशहर, जेएनएन। पंजाब में आमतौर पर शादियां बेहद खर्चीली होती हैं। अपनी ऊंची शान दिखाने के लिए लोग कर्ज लेकर या संपत्ति बेचकर भी महंगी शादियां करते हैं, लेकिन नवांशहर के गांव भीण के अमरजोत सिंह और कनाडा से हाल ही में जगराओं तहसील के गांव मानूके लौटीं अमन सहोता ने नई मिसाल कायम की है। दोनों की शादी सादे ढंग से हुई। बरात में लड़की के घर केवल पांच लोग पहुंचे और सरकारी बस में टिकट कटा कर दुल्हन को लाया गया।

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कुवैत से लौटकर आए अमरजोत और कनाडा से आई अमन सहोता ने रचाई अनोखी शादी

सादगी और फिजूलखर्च किए बिना शादी की मुहिम चलाने वाले 'एक रिश्ता इन्सानियत' वेलफेयर सोसायटी के प्रधान लखविंदर सिंह बताते हैं कि गांव के अमरजोत सोसायटी के कार्यों में सक्रिय हैं। लोगों को सादगी से शादी की सीख देने के लिए उन्होंने इस प्रकार की शादी का फैसला किया।

अमरजोत पहले कुवैत में काम करते थे। अब गांव में ही मोटर मैकेनिक का काम करते हैं। जब उनकी शादी अमन सहोता से तय हुई, तो उन्होंने फिजूलखर्ची की बजाय सादगी से शादी करने की बात कही। अमन इसके लिए तैयार हो गईं। इसके बाद परिजनों को इसके बारे में बताया गया। दोनों परिवारों ने इसके लिए रजामंदी दे दी।

अमरजोत सिंह के घर से शुक्रवार को बरात ऑटो से सुबह साढ़े पांच बजे निकली। बरात में 20 लोग शामिल थे। नवांशहर बस स्टैंड से जगराओं के लिए टिकट लेकर सभी सवार हो गए। जगराओं में सुबह करीब नौ बजे पहुंचे। जगराओं से गांव मानूके तक पांच लोग दूल्हे के साथ दुल्हन के घर तक गए। लड़की वालों ने केवल पांच लोगों के आने के बारे बताया गया था। शादी के बाद दुल्हन को पीआरटीसी की बस में ही नवांशहर लाया गया। इसके बाद ऑटो से दुल्हन को घर ले जाया गया।

लोगों को सीख देने के लिए उठाया कदम

इस सादगी भरी शादी के बारे अमरजोत का कहना है कि लोगों को सीख देने से पहले खुद उसे करना चाहिए। यह सोच कर उन्होंने यह कदम उठाया। यदि सभी शादियों में फिजूलखर्ची बंद हो जाए, तो लोगों पर कोई कर्ज नहीं चढ़ेगा। इससे कन्या भ्रूणहत्या अपने आप ही खत्म हो जाएगी। क्योंकि लड़कियां फिर परिवारों पर बोझ नहीं होंगी।

अमरजाेत का कहना है कि शादियों पर होने खर्च के कारण ही लड़कियों को बोझ समझा जाता है। इसके साथ ही लड़के के परिजन भी दिखावे के लिए काफी खर्च करते हैं। इस पर रोक लगेगी। अमन ने कहा कि वह अमरजोत के इस विचारधारा से काफी प्रभावित हुई हैं। उल्लेखनीय है कि इसी गांव के 'एक रिश्ता इन्सानियत' वेलफेयर सोसायटी के प्रधान लखविंदर सिंह की खुद दो साल पहले अपनी बरात रिक्शे पर लेकर गए थे।


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