नहीं पहुंचे निगम कमिश्नर, रद हुई हाउस की बैठक
रोहित शर्मा, मोगा शहर के 28 पार्षदों के 29 दिन के जबरदस्त संघर्ष और चार दिन मरणव्रत के बाद हाउस की
रोहित शर्मा, मोगा
शहर के 28 पार्षदों के 29 दिन के जबरदस्त संघर्ष और चार दिन मरणव्रत के बाद हाउस की बैठक 19 जुलाई को तय हुई थी, लेकिन एन मौके पर निगम कमिश्नर का तबादला होने के चलते तथा नए निगम कमिश्नर की नियुक्ति न होने के कारण एक बार फिर शहर वासियों की उम्मीद पर पानी फिर गया है। हाउस की बैठक रद होने के बाद हाउस के लिए अभी तक नई तारीख तय नहीं की गई है। जबकि एफएनसीसी की बैठक में पास किए गए विकास कार्यों में से अभी तक 15 करोड़ रुपये से अधिक विकास शुरू ही नहीं हो पाए हैं।
21 करोड़ के विकास कार्यों को मिलनी थी हरी झंडी
नगर निगम की बैठक से पहले 16 तारीख तक शहर के पार्षदों द्वारा दिए गए एस्टीमेट लगभग 41 करोड़ के आसपास हो गए थे, लेकिन निगम के पास इतने एस्टीमेट के मुताबिक बजट न होने के चलते निगम ने इन विकास कार्यों को समेटकर करीब 21 करोड़ के बजट को 19 जुलाई को होने वाली हाउस बैठक में हरी झंडी देनी थी। मगर एन मौके पर निगम कमिश्नर राजेश त्रिपाठी का तबादला हो गया और उनकी जगह अमृतसर से पीसीएस जग¨वदर ¨सह की मोगा में बतौर निगम कमिश्नर बदली हो गई, लेकिन अभी तक उन्होंने निगम कमिश्नर का पदभार नही संभाला है।
28 पार्षदों ने किया था संघर्ष
निगम में हाउस की बैठक लगातार लेट होती जा रही थी। लोग शहर के विकास कार्यों को लेकर राह देख रहे थे और इंतजार किसी विस्फोटक स्थिति में जा सकता था, जिसको लेकर शहर के 28 अकाली व भाजपा के पार्षदों ने मेयर के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया था। इस मोर्चे के दौरान पार्षदों ने लगातार 28 दिन तक निगम के मुख्य द्वार पर अपना संघर्ष जारी रखा। इस दौरान जब पार्षदों की सुनवाई न हुई तो उन्होंने 24वें दिन मरणव्रत पर बैठने की घोषणा कर दी। मरणव्रत पर लगातार चार दिन तक तीन पार्षद बैठे, जिसके बाद हलका विधायक डॉ. हरजोत कमल और मेयर अक्षित जैन ने मौके पर पहुंचकर पार्षदों को जूस पिलाकर उनका मरणव्रत समाप्त करवाया और साथ ही उन्हें मौके पर एजेंडे की कॉपी देकर भरोसा दिलाया गया कि 19 जुलाई को वह हाउस की बैठक में 21 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को शुरू करने के लिए अनुमति दे दी जाएगी। निगम कमिश्नर के तबादले के कारण शहर के विकास को लेकर बनाई गई सभी योजनाएं ठप होकर रह गई।
ठगा सा महसूस कर रहें हैं पार्षद
शहर के 28 पार्षदों ने जहां विकास कार्यों को लेकर 29 दिन तक संघर्ष किया, लेकिन एन मौके पर निगम कमिश्नर का तबादला हो गया। जिसके चलते इतने दिनों के संघर्ष के बाद पार्षदों द्वारा बैठक की तारीख तय करवाई गई थी, वह तारीख एक बार फिर से क्रॉस हो गई। जानकारी के अनुसार अभी तक बैठक के लिए नई तारीख तय नहीं की गई है। इसलिए एक बार फिर से शहर का विकास लंबित होने के चलते पार्षद खुद को ठगा सा महसूस कर रहें है।