मरीजों के सिर पर मौत की छत
जागरण संवाददाता, मोगा : जिले भर के 18 लाख लोगों को सेहत सुविधा देने वाले सिविल अस्पताल की पुरानी इमा
जागरण संवाददाता, मोगा : जिले भर के 18 लाख लोगों को सेहत सुविधा देने वाले सिविल अस्पताल की पुरानी इमारत खस्ताहाल हो चुकी है। इमारत की छतों से पानी टपकने का सिलसिला बीते 30 साल से लगातार जारी है और छह बार मरम्मत किए जाने के बाद भी इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आ सका है। मौजूदा समय में इस खस्ताहाल इमारत में ब्लड बैंक, मेडिसिन, हड्डी रोग और सर्जरी से संबंधित करीब 150 मरीज जान जोखिम में डालकर अपना उपचार करवा रहे हैं। बाथरूमों की स्थित इतनी खस्ता है कि मुंह कपडे़ से ढके बिना बाथरूम का प्रयोग करना संभव ही नहीं है और यहां मच्छरों का बसेरा है, कोई भी मरीज या तीमारदार डेंगू या मलेरिया का शिकार हो सकता है।
35 साल पहले इमरजेंसी के लिए तैयार की गई इस इमारत की हालत 100 साल से पुरानी इमारतों से भी बत्तर हो चुकी है। जिस समय इस इमारत को बनाया गया उस समय इस इमारत में प्रयोग किया गया सामान गुणवत्ता पर खरा नहीं उतर पाया। यही कारण है कि इस इमारत के तैयार होने के महज दो साल बाद ही इसमें कई तरह से समस्याएं पैदा होना शुरू हो गई। बाथरूमों से लीक होने वाला पानी इमारत के लेंटर को खराब कर चुका है। दीवारों में लगातार पानी का रिसाव होने से दीवारों से प्लास्टर उतरकर दीवारों को खोखला कर रहा है। इमारत में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ-साथ मरीज और उनके तीमारदार हर समय इस इमारत में खुद को असुरक्षित मानते हैं।
नई इमारत बनाने का प्रस्ताव रखा है : एसएमओ
एसएमओ डॉ. अरविंदरपाल ¨सह का कहना है कि मौजूदा ब्लड बैंक की इमारत बेहद खस्ता है और यदि इसका जल्द कोई समाधान न किया गया तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। दो माह पहले ही वह सिविल अस्पताल में ब्लड बैंक, शव परीक्षण गृह और ओपीडी के लिए नई इमारत बनाने की मांग सेहत विभाग के सचिव से कर चुके हैं। एसएमओ ने बताया कि 35 साल पहले सिविल अस्पताल में जिस इमारत को तैयार किया गया था उसे इमरजेंसी के लिए प्रयोग किया जाता था। इमारत की हालत खराब होने से इसमें इमरजेंसी हटाकर अन्य ब्लॉक में शिफ्ट करनी पड़ी थी। एक फिर से इस इमारत की मरम्मत का फरमान जारी हुआ, लेकिन सेहत विभाग द्वारा ठेकेदार को फंड जारी न किए जाने के कारण पहले से निर्माण अधीन गायनी वार्ड का काम भी अधर में लटक चुका है।