ड्रग विभाग के मुताबिक ट्रामाडोल प्रतिबंधित नहीं, मगर पुलिस दर्ज कर रही केस
रोहित शर्मा, मोगा एक ओर तो ड्रग विभाग के मुताबिक ट्रामाडोल दवा प्रतिबंधित दवाओं की सूची में नहीं आ
रोहित शर्मा, मोगा
एक ओर तो ड्रग विभाग के मुताबिक ट्रामाडोल दवा प्रतिबंधित दवाओं की सूची में नहीं आती, क्योंकि ट्रामाडोल मात्र दर्द निवारक दवा है। जबकि दूसरी ओर पुलिस प्रशासन धड़ाधड़ लोगों से ट्रामाडोल दवा पकड़कर उनपर एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर रहा है।
ऐसे ही एक मामला सोमवार को देखने को मिला। थाना समालसर की पुलिस ने समालसर से ही मजदूरी करने वाले न¨रद्र पाल ¨सह, रमनदीप ¨सह उर्फ रमना और परमा ¨सह निवासी गांव पंजगराई को 150 गोलियां ट्रामाडोल व उसके मोटरसाइकिल समेत काबू कर एनडीपीसी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया। इस बारे में एएसआई फैली ¨सह का कहना है कि ट्रामाडोल दवा एनडीपीएस एक्ट के तहत आती है। जिसके चलते आरोपियों से ट्रामाडोल दवा बरामद कर उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। वहीं ग्रामीण ड्रग इंस्पेक्टर अमित बांसल का कहना है कि ट्रामाडोल प्रतिबंधित दवाओं की सूचि में नहीं आती।
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मेरे ध्यान में नहीं है मामला: ड्रग इंस्पेक्टर
इस मामले संबंधी जब ड्रग विभाग के ग्रामीण ड्रग इंस्पेक्टर अमित बांसल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं हैं। ना ही पुलिस ने उनकी राय लेना जरूरी समझा है। बाकी रही बात ट्रामाडोल दवा की तो यह दवा केवल दर्द निवारक दवा है। यह प्रतिबंधित दवाओं की सूची में नहीं आती। जिसके चलते ट्रामाडोल दवा की सीमित मात्रा की बरामदगी पर पुलिस एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं कर सकती।
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पुलिस कर रही ज्यादती- प्रधान जिला केमिस्ट एसोसिऐशन
केमिस्ट एसोसिएशन के जिला प्रधान राजीव गर्ग ने इस मामले की कड़े शब्दों में ¨नदा की है। उनका कहना है कि जब सेहत विभाग के मुताबिक ट्रामाडोल प्रतिबंधित नहीं तो पुलिस को लोगों पर नाजायज केस डालने का कोई अधिकार नहीं है। पुलिस ने 3 मजदूरों पर यह नाजायज केस डालकर पुलिस प्रशासन द्वारा की जा रही ज्यादती का सबूत पेश किया है। वह पुलिस प्रशासन के उच्चाधिकारियों से पुरजोर मांग करते हैं कि वह इस मामले को गंभीरता से लेते केस रद करे। जिससे पुलिस की छवि लोगों में बेहतर बनी रहे।