किताबों के शौकीन लोगों के लिए अच्छी खबर, साहिर लुधियानवी लाइब्ररी पाठकों के लिए खोली
किताबों के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। रविवार को साहिर लुधियानावी लाइब्रेरी हाल को पाठकों के लिए खोल दिया गया।
जेएनएन, लुधियाना। किताबों के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। रविवार को साहिर लुधियानवी लाइब्रेरी हाल को पाठकों के लिए खोल दिया गया। पंजाबी साहित्य अकादमी में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. मनोहर सिंह गिल द्वारा दी गई पच्चीस लाख रुपये की ग्रांट के साथ पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार की गई इस लाइब्रेरी का उद्घाटन प्रसिद्ध नाटककार डॉ. आत्मजीत सिंह ने किया। वह लाइब्रेरी के पहले पाठक भी बने। अब इस नए बने लाइब्रेरी हाल में पाठक, विद्यार्थी व शोधार्थी लाइब्रेरी के अनमोल खजाने का लाभ उठा सकेंगे। लाइब्रेरी में पंजाबी, हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू व फारसी भाषाओं की करीब साठ हजार से अधिक पुस्तकें उपलब्ध हैं।
इसके अलावा अकादमी के पंजाब रेफरेंस से खोज केंद्र में पंजाबी में खोज करवाने वाली सभी यूनिवर्सिटी के पीएचडी, एम फिल, एमए के खोज निबंध बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं। पंजाबी साहित्य अकादमी के प्रधान प्रो. रविंदर सिंह भट्ठल ने बताया कि वर्ष 1954 में स्थापित यह लाइब्रेरी पहले एक तत्कालीन महासचिव के घर में चल रही थी और वर्ष 1968 में यह बकायदा पंजाबी भवन में स्थापित लाइब्रेरी हाल में स्थापित की गई। वर्ष 1993 में प्रिंसिपल प्रेम सिंह बजाज की देखरेख में चलने वाली इस लाइब्रेरी में किताबों का इजाफा हुआ। जिस कारण नई इमारत की जरूरत महसूस होने लगी।
इस जरूरत की पूर्ति के लिए डॉ. मनोहर सिंह गिल व अन्य ने नई इमारत बनाने में विशेष दिलचस्पी दिखाई। डॉ. गुरइकबाल सिंह ने बताया कि अपना आइडेंटिटी कार्ड दिखाकर यहां मुफ्त में किताबें पढ़ी जा सकेंगी। डॉ. आत्मजीत सिंह होरा, डॉ. सुरजीत सिंह, सु¨रदर कैले, डॉ. गुलजार सिंह पंधेर, सहजप्रीत सिंह मांगट, डॉ. गुरइकबाल सिंह, मनजिंदर सिंह धनोआ, डॉ. तेजवंत मान, डॉ. गुलजार सिंह शकी, भगवंत रसूलपुरी, तरलोचन लोची, सु¨रदर दीप व अन्य मौजूद थे।