बैंकों में कैश नहीं और मार्केट में 20 फीसद पर आसानी से मिल रहा
जासं, लुधियाना : नोटबंदी के उपरांत खराब बैंकिंग व्यवस्था व आम आदमी को आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी क
जासं, लुधियाना :
नोटबंदी के उपरांत खराब बैंकिंग व्यवस्था व आम आदमी को आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए नगदी मुहैया नहीं हो पाने से लोग काफी परेशान है। तमाम राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे पर चुप्पी धारण कर लेने और आम जनता की सुध नहीं लेने पर शहर के इंगट ब्रोकर राजेश गुप्ता ने अपनी गाड़ी पर बैनर लगा कर नोटबंदी पर सरकार से कुछ सवाल किए हैं। इन सवालों को वह अपनी गाड़ी पर चस्पा कर इन दिनों मार्केट में घूमते दिखाई दे रहे हैं। बैनर पर उन्होंने कई स्लोगन लिखे हुए हैं, जिसमें वह कह रहे हैं कि मैंने तो कोई कालाधन नहीं रखा। मुझे सजा क्यों? बैंक में नोट नहीं है, पेट में रोटी नहीं, बुजुर्गो के लिए दवाई नहीं और बैंक में आम जनता के लिए करंसी नहीं।
उनका कहना है कि बैंक मनमर्जी कर रहे हैं। आम आदमी करीब एक माह से धक्के खा रहा है। इसलिए बैंकों में रोजाना उल्लेख करना चाहिए कि शाखा में आज कितनी राशि आई है, कितनी बांटी गई है और कितनी करंसी जमा हो पाई है ताकि पारदर्शिता बनी रहे, क्योंकि आलम यह है कि बैंक में रुपया नहीं है, लेकिन मार्केट में 20 फीसद पर आसानी से बदला सकते हैं। वह तमाम राजनीतिक पार्टियों व आम जनता को इस व्यवस्था पर सवाल खड़े करने और खुलकर बोलने को कह रहे हैं। क्योंकि, आम आदमी के लिए कारोबार करना तो दूर जीना भी दुभर हो गया है।