प्रसिद्ध उद्योगपति प्रेम सागर जैन पंचतत्व में विलीन
संवाद सहयोगी (वि), लुधियाना उपाध्याय श्रमण श्री फूलचंद जी महाराज के परम भक्त एवं श्रमण श्री फैब्रि
संवाद सहयोगी (वि), लुधियाना
उपाध्याय श्रमण श्री फूलचंद जी महाराज के परम भक्त एवं श्रमण श्री फैब्रिक्स के चेयरमैन प्रेम सागर का मंगलवार देर शाम निधन हो गया था। उनकी अंत्येष्टि बुधवार को सिविल लाइन स्थित श्मशान घाट में की गई। उनको मुखाग्नि उनके पुत्र अरिम जैन ने दी। इस अवसर पर मानव रत्न रामकुमार जैन ने बताया कि संसार में उपलब्धियों को प्राप्त करने के पीछे कोई चमत्कार नहीं, इसे मेरे छोटे भाई प्रेम सागर जैन ने अपनी पुरुषार्थ योग्यता, गुण, क्षमता, और कर्मठता से सार्थक किया। गुरु भक्त के तौर पर प्रेम सागर जी के समर्पण को भुलाया नहीं जा सकता।
इस अवसर पर एसएस जैन सभा अध्यक्ष सिविल लाइन अशोक सीतल जैन, अरिदमन जैन, महेंद्र जैन मिनी किंग, प्रमोद जैन, साहित्य रत्न डॉ. मुलख राज जैन, भगवान महावीर सेवा संस्थान अध्यक्ष राकेश जैन, राजेश जैन, अजीत के जैन, एसएस जैन महासभा पंजाब उत्तरी भारत राकेश जैन, प्रफुल्ल जैन, संभव जैन, रजनीश जैन गोल्ड स्टार, डॉ. संदीप जैन, पवन जैन, राजू ओसवाल, जोगिंदर पाल जैन, कमल जैन, रविंदर जैन भ्राता, तरुण जैन बावा, परिवार से उनकी धर्मपत्नी पुष्पा जैन, अरनम जैन, संगीता जैन, राकेश जैन लक्की, राजन जैन केपी, सुरेश जैन, राजेंद्र कुमार जैन, सौम्य संभव जैन, रामकुमार जैन संतोष जैन, अशोक कुमार व सुरेंद्र कुमार जैन, सुभाष जैन, प्रोमिला व विनोद जैन, नीरज, सुबोध जैन परिवार सहित आदि उपस्थित थे।
इस दौरान अरिम जैन ने बताया कि रस्म पगड़ी 1 सिंतबर दिन वीरवार को सराभा नगर श्री नवदुर्गा मंदिर हाल में 11 बजे होगी।
श्रमण जी के प्रिय भक्त थे प्रेम सागर जैन
प्रेम सागर का जन्म 23 अप्रैल 1936 को फरीदकोट में पिता हरबंस लाल व माता शकुंतला देवी के घर में हुआ। स्नातक की पढ़ाई के बाद लुधियाना में आ बसे और उन्होंने अपने गुरुदेव के नाम से श्रमण जी फ्रैबिक्स की स्थापना की। श्रमण जी के प्रति निष्ठा रखने वाले गुरु भक्तों ने श्रमण जी प्रेम संघ की स्थापना की। स्व. प्रेम सागर जी इनके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। यह संघ हिमाचल प्रदेश स्थित श्रमण जी के जन्म स्थान शिंघला में प्रत्येक वर्ष यात्रा के लिए जाता है। उन्होंने अपने पूज्य गुरुदेव के जन्म स्थान को सुंदर रूप देने में अहम योगदान दिया। सुंदर नगर में भी श्रमण जी का पावन स्थल निर्मित करवाने में आपका विशेष योगदान रहा। अपने अंतिम समय में वे हंबड़ां रोड पर अपने आराध्य गुरुदेव को समर्पित पावन स्थली बनाने में जुटे हुए थे।