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'हमें गुमराह करती रही लुधियाना पुलिस'

राजन कैंथ, लुधियाना घटना के अगले दिन से लुधियाना पुलिस हमें गुमराह करती रही। हमें किसी न किसी बहा

By Edited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 02:04 AM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 02:04 AM (IST)
'हमें गुमराह करती रही लुधियाना पुलिस'

राजन कैंथ, लुधियाना

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घटना के अगले दिन से लुधियाना पुलिस हमें गुमराह करती रही। हमें किसी न किसी बहाने बुला कर सारा दिन यहां-वहां घुमाया जाता। शाम होने पर वापस भेज दिया जाता। किया- कराया कुछ नहीं। कार में सवार पवन शर्मा, जयंत रिशी, प्रभजोत नागरा तथा राम चौधरी के मोबाइल सर्विलांस पर लगा दिए। सात दिन बाद उनकी अंतिम लोकेशन दोराहा नहर की आने पर पुलिस ने पल्ला झाड़ कर मामला दोराहा पुलिस के पाले में फेंक दिया।

यह आरोप पवन शर्मा के भाई पंकज शर्मा तथा प्रभजोत नागरा के पिता केडीएस नागरा ने लगाए। उनका आरोप है कि पुलिस उन्हें यह कह कर उलझाती रही कि आपके लोग खुद ही कहीं गायब हो गए हैं। अपनी बात को साबित करने के लिए पुलिस ने लुधियाना के एक कपड़ा कारोबारी तथा कार ड्राइवर को सामने ला खड़ा किया। कारोबारी का कहना था कि पवन लुधियाना आकर उससे कपड़ा खरीदा करता था, जिसे अखबार ढोने की जीप चलाने वाला राजू खरड़ तक पहुंचाया करता था। 14 जनवरी की शाम पवन ने उससे दो लाख का कपड़ा खरीदा। उसी रात प्रेस की उस जीप में लोड करके उसे भेज दिया गया। ड्राइवर राजू का दावा था कि 15 जनवरी की सुबह वह कपड़ा उसने जयंत के सुपुर्द किया था। अपनी बात को साबित करने के लिए उसने सड़क किनारे स्थित दुकान पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी उन्हें दिखाई। मगर उसमें केवल म¨हद्रा पिक अप जीप नजर आई।

यही नहीं, 16 जनवरी की सुबह वह कपड़ा कारोबारी चंडीगढ़ सेक्टर 27 स्थित पवन के घर दो लाख की पेमेंट लेने भी पहुंच गया। पंकज शर्मा का आरोप है कि अगर 14 की रात ही चारों कार समेत जलमग्न हो गए थे तो फिर राजू जयंत को कपड़ा कब डिलीवर कर गया।

एसएसपी ने दिए जांच के आदेश

उन्होंने एसएसपी सतिंदर सिंह से इस पूरे प्रकरण की जांच करने की मांग की। इस पर एसएसपी ने थाना बस्ती जोधेवाल तत्कालीन प्रभारी कपड़ा कारोबारी तथा ड्राइवर राजू के खिलाफ जांच के आदेश जारी कर दिए। उनका कहना था कि मामले में इस तरह का बयान देने के पीछे की मंशा साफ होनी जरूरी है।

डीजीपी के निर्देश पर दर्ज हुआ पर्चा

पंकज ने बताया कि 16 जनवरी को चंडीगढ़ पुलिस ने चारों की गुमशुदगी संबंधी डीडीआर दर्ज कर ली थी। मगर लुधियाना पुलिस मामले में कुछ नहीं कर रही थी। इसके चलते वे लोग डीजीपी सुरेश अरोड़ा से मिले। उनके निर्देश पर 22 जनवरी को दोराहा पुलिस ने उन्हें फोन करके बुलाया और बयान लेने के बाद अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया।

ढाई लाख, मोबाइल व जेवर भी मिले

दोराहा के गांव गुरथली हेड नहर में शव निकालते समय गोताखोरों को पवन की जेब में से दो लाख रुपये, तथा जयंत की जेब से पचास हजार रुपये मिले। इसके अलावा दो मोबाइल फोन, एक चेन, एक अंगूठी भी मिली। जिसे उन लोगों ने परिवार के सुपुर्द कर दिया। एसएसपी सतिंदर सिंह ने गोताखोरों राकेश, बॉबी, राजू, अजय, शादी लाल, सन्नी, घोगा, पिंकी, सादिक, सुभाष, प्रिंस, शेरा, गगन तथा तइयां की प्रशंसा की। पीड़ित परिवार ने उनकी मेहनत का उन्हें इनाम भी दिया।


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