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तेजी से बढ़ रही हेपेटाइटिस सी की बीमारी

जासं, लुधियाना पंजाब में हेपेटाइटिस सी (काला पीलिया) तेजी से बढ़ रहा है। शहर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ

By Edited By: Published: Fri, 23 Jan 2015 01:04 AM (IST)Updated: Fri, 23 Jan 2015 05:31 AM (IST)
तेजी से बढ़ रही हेपेटाइटिस सी की बीमारी

जासं, लुधियाना

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पंजाब में हेपेटाइटिस सी (काला पीलिया) तेजी से बढ़ रहा है। शहर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस सी बीमारी लीवर को अंदर ही अंदर क्षति पहुंचाकर खराब कर देती है। कुछ मामलों में मरीज को लाइलाज सरोसिस बीमारी भी हो जाती है। इस बीमारी का नकारात्मक पहलू ये है कि इसके शुरुआती लक्षण नजर नहीं आते।

मालवा में तेजी से फैल रही बीमारी

पंजाब के मालवा क्षेत्र मानसा, फरीदकोट, मोगा, बठिंडा व लुधियाना के ग्रामीण क्षेत्रों से शहर के अस्पतालों में हेपेटाइटिस सी के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। लुधियाना मेडिवेज अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रमुख व मेडिकल सुपरिंटेंडेंट गौरव सचदेवा के मुताबिक अस्पातल में भर्ती होने वाले सौ मरीजों में से पांच को हेपेटाइटिस सी जरूर होता है। इन मरीजों में हेपेटाइटिस सी होने की पुष्टि ब्लड सैंपलों की जांच लेने पर होती है।

ऐसा ही कुछ कहना सतगुरु प्रताप सिंह अपोलो अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ गेस्ट्रोलॉजी एंड लीवर डिसीज के सीनियर कंसल्टेंट एंड कोआर्डिनेटर डॉ. निर्मलजीत सिंह मल्ली का भी है। उनके मुताबिक हेपेटाइटिस सी की बीमारी शहरों की बजाए गांवों में अधिक है। उनके पास भी ओपीडी में विभिन्न जिलों से रोजाना पांच से छह केस हेपेटाइटिस सी के आते हैं।

वहीं, शेरपुर चौक स्थित मोहनदेई ओसवाल अस्पताल के गेस्ट्रो व लीवर विभाग के हैड डॉ. एचएस बिंद्रा के मुताबिक उनके पास भी ओपीडी में रोजाना हेपेटाइटिस सी के दो से तीन मरीज आते हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज नशे का शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर लीवर पर इंफेक्ट अधिक न हुआ हो तो इंटर थैरोन थैरेपी से मरीज को बचाया जा सकता है। जबकि लीवर खराब होने पर लीवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

सिविल अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रमुख डॉ. गुरमीत सिंह के मुताबिक उनके पास रोजाना ओपीडी में 10 से 15 मरीज हेपेटाइटिस सी से पीड़ित होते हैं। इस बीमारी का इलाज व इंजेक्शन काफी महंगा होने के कारण यहां उपलब्ध नहीं। इसलिए वह मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में जाने की सलाह देते हैं।

एक ही सीरींज से बार-बार इंजेक्शन लगाना है बड़ा कारण

डॉ. बिंद्रा के मुताबिक इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह एक ही सीरींज से बार-बार टीकाकरण है। गांवों व स्लम इलाकों में बैठे कई आरएमपी पुरानी सीरींज को उबाले बिना ही मरीज को इंजेक्शन लगा देते हैं। हेपेटाइटिस सी का वायरस खून के जरिए फैलता है। इसलिए जब एक ही सीरींज का बार-बार इस्तेमाल होता है तो इससे कई मरीज प्रभावित हो जाते हैं। कुछ वर्षो को छोड़ दें तो पंजाब में एक लंबे समय तक टीकाकरण के लिए एक ही सीरींज को अधिक बार इस्तेमाल किया जाता रहा है। कहीं न कहीं उस टीकाकरण का असर काला पीलिया के रूम में अब सामने आ रहा है। मौजूदा समय में नशा करने वाले ज्यादातर लोग मेडिकल नशे के लिए एक ही सीरींज का बार-बार इस्तेमाल करते हैं।

सावधानी ही बीमारी से बचाव

लुधियाना मेडिवेज अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट व मेडिसन डिपार्टमेंट के हैड डॉ. गौरव सचदेवा के मुताबिक सावधानी बरतकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति को हर छह माह बाद खून की जांच करवा लेनी चाहिए। आरएमपी इलाज करवाने से बचें। खून जांच हमेशा अच्छी लैब से करवाएं। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं के सारे टेस्ट जरूर हों।


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