टिकट की आस में बढ़ी धड़कनें, दिल्ली में घनघनाए फोन
कुसुम अग्निहोत्री, जालंधर विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में टिकटों को लेकर वीरवार को दिनभ
कुसुम अग्निहोत्री, जालंधर
विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में टिकटों को लेकर वीरवार को दिनभर दिल्ली में हुई मीटिंग में घमासान जारी रहा जारी। शहर के कई बड़े नेता जहां दिल्ली में डेरा जमाए बैठे हैं वहीं कुछ ने जालंधर में रहकर दिन भर दिल्ली फोन घुमाकर पल-पल की खबर रखी। एड़ी-चोटी का जोर लगाया। आधिकारिक तौर पर टिकटों की घोषणा आठ दिसंबर को होनी थी मगर जबरदस्त जोड़-तोड़ के कारण ऐसा नहीं हो सका। उम्मीदवार एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार देर शाम तक पंजाब की 117 में से 90 सीटों पर मुहर लग चुकी थी। उम्मीदवारों के नाम 9 दिसंबर को घोषित करने की संभावना जताई जा रही है। दिल्ली गए नेताओं में परगट सिंह, बराड़, मोहिंदर सिंह केपी, पूर्व मेयर सुरिंदर महे, राजकुमार गुप्ता हैं जबकि पूर्व मंत्री अवतार हैनरी और राजिंदर बेरी ने जालंधर में ही रहकर जोर लगाया।
वेस्ट और नॉर्थ हलके में टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी
जालंधर जिले की नौ सीटें फाइनल करने में सबसे ज्यादा जोड़-तोड़ की स्थिति जालंधर वेस्ट, नॉर्थ, करतारपुर और जालंधर कैंट सीटों पर है। जालंधर वेस्ट से कई सालों से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे मोहिंदर सिंह केपी दावेदारी जता रहे हैं। इसी तरह नॉर्थ से हैनरी की मजबूत दावेदारी को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए मुश्किल बना हुआ है। वहीं, करतारपुर की सीट भी रिजर्व होने के कारण सोच-विचार का विषय बनी हुई है।
कैंट में परगट का पेच : कैंट से पहले जहां परगट सिंह को हाईकमान की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी। वहीं अब वहां से उठ रहे विरोधी स्वरों ने एक बार फिर से हाईकमान को अन्य दावेदारों के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है।
प्रशांत किशोर के सर्वे के आधार पर हुआ सीटों पर मंथन
कांग्रेस को आज 8 दिसंबर को 13 दिवसीय सीईसी की बैठक के बाद देर शाम तक अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर देने थे। मीटिंग के दौरान प्रशांत किशोर के सर्वे के आधार पर फिर से उम्मीदवारों पर चर्चा हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जालंधर वेस्ट से केपी व नॉर्थ से अंवतार हैनरी व सेंट्रल से राजकुमार गुप्ता और कैंट से परगट सिंह को उनकी सहमति से दिन भर दूसरी सीटों पर एडजस्ट करने की बात चलती रही। यदि सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने सीटें वितरित की तो नॉर्थ से अवतार हैनरी की जगह तजिंदर बिंट्टू, राजेंद्र बेरी या फिर राजकुमार गुप्ता में से किसी एक को फायदा पहुंच सकता है। वहीं वेस्ट हलके में केपी की जगह सुरेंद्र महे तथा पार्षद सुशील रिंकू की दावेदारी ज्यादा उभर कर सामने आई। ऐसे में यदि प्रशांत किशोर के सर्वे को प्रमुखता दी गई तो सुरिंद्र महे या फिर सुशील रिंकू को फायदा पहुंच सकता है।
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कांग्रेस के लिए जालंधर रहा है स्ट्रांग
भले ही 2012 के चुनावों में कांग्रेस को जालंधर से एक भी सीट नहीं मिली थी और 2007 के चुनावों में भी कांग्रेस के हाथ केवल नकोदर की ही एक सीट हाथ आई थी। इसके बावजूद जालंधर की नौ सीटें कांग्रेस के लिए स्ट्रांग मानी जाती है। यही कारण है कि जालंधर की नौ की नौ सीटों पर हर पहलू से विचार किया जा रहा है।
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कांग्रेसी शिअद की छह सीटों को मान रहे हैं कमजोर
शिरोमणि अकाली ने जालंधर में गठबंधन की 9 में से 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान तो कर दिया है, लेकिन इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं की तरफ से ही इनके विरोध के चलते शिअद की छहों सीटें कमजोर समझी जा रही हैं। यदि छहों सीटों के समीकरण पर नजर दौड़ाई जाए तो कांग्रेसियों की जीत यहां पर संभव नजर आ रही है क्योंकि दो बड़े नेताओं व मौजूदा विधायक पूर्व मंत्री सरवण सिंह फिल्लौर व पूर्व सीपीएस अविनाश चंदर ने इस्तीफा देकर शिअद को बड़ा झटका दिया है। शिअद की छह सीटों पर नजर दौड़ाई जाए तो कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव का सफर बेहद आसान बताया जा रहा है। वहीं कांग्रेस भी जालंधर कैंट, फिल्लौर, करतारपुर, आदमपुर के समीकरण देख मजबूत उम्मीदवार उतारने की रणनीति में जुटी हुई है।
मीटिंग में वाल्मीकि फैक्टर रहा हावी
वाल्मीकि समुदाय पारंपारिक रूप से कांग्रेस का वोट बैंक रहा है। लेकिन बीते दो चुनावों में कांग्रेस को इस वर्ग का पूरा समर्थन नहीं मिला। लिहाजा दोआबा की तीन रिजर्व सीटों पर वाल्मीकि फैक्टर भी दिन हर मीटिंग में हावी रहा। पार्टी के भीतर से ही यह आवाज पूरे जोर-शोर से उठाई जा रही है। पार्टी नेताओं को लगता है कि ऐसा करने से पार्टी को दोआबा में करीब 50 प्रतिशत वाल्मीकि भाईचारे का वोट दोबारा हासिल कर सकती है।