लोंगोवाल में पाक को मात दी थी मेजर जनरल सिद्धू की बटालियन ने
जागरण संवाददाता, जालंधर बार्डर फिल्म में लोंगोवाल पोस्ट पर जिस बटालियन ने पाकिस्तान के दांत खट्टे
जागरण संवाददाता, जालंधर
बार्डर फिल्म में लोंगोवाल पोस्ट पर जिस बटालियन ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे, असल में 1971 की जंग में मेजर जनरल एसएस सिद्धू की कमान में 23वीं बटालियन सिख रेजीमेंट ने इस तरह शक्ति का प्रदर्शन किया था। वह 1971 में ही ईस्टर्न कमांड में तैनात थे और फ्रीडम बटालियन निर्मित कर भारतीय सेना के लिए मददगार बनाया और लंबी खींचने वाली बंग्लादेश को लेकर लड़ाई को जल्द अंजाम दिया। इसी तरह मेजर जनरल सिद्धू ने 1965 में बर्की (लाहौर) की जंग में विजय हासिल की थी। इन गाथाओं ने मेजर जनरल सिद्धू को आसमान की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। देश की सेवा करने वाले मेजर जनरल सिद्धू (रिटायर्ड) का वीरवार को निधन हो गया था। उनकी आत्मिक शान्ति के लिए अंतिम अरदास 4 जून को अर्बन एस्टेट फेस-1 के गुरुद्वारा साहिब में संपन्न होगी। उनके परिवार में पत्नी अमृता सिंह, बेटा सतिंदर पाल सिंह, बहू हरप्रीत कौर, बेटी रेबा सिंह तथा दामाद यूपी से सेवानिवृत्त डीजीपी कर्मवीर सिंह हैं।
पत्नी अमृता सिंह व सेवानिवृत्त डीजीपी कर्मवीर सिंह ने बताया कि जनरल साहब गुर्रिला लड़ाई के माहिर थे। वह मिजोरम में गुर्रिला जंग की ट्रेनिंग देने वाले स्कूल के डायरेक्टर भी रहे। 1966 में उन्होंने 23वीं बटालियन पंजाब रेजीमेंट बनाई थी। उनके दादा के दादा मेघा सिंह महाराजा रणजीत सिंह की फौज में जनरल थे और फिल्लौर स्थित महाराजा रणजीत सिंह पुलिस अकादमी में उस समय के शासक थे। नाना संगत सिंह घुड़सवार सेना में थे और पहला विश्व युद्ध लड़े थे। बेटलोसोम में उन्हें एक साथ दो क्रास मिले थे। 88 साल के मेजर जनरल सिद्धू 1950 में सेना भर्ती हुए थे और 1984 में सेवानिवृत्त हुए। उनका जन्म फिल्लौर के निकटवर्ती गांव भद्दी जगीरा में हुआ था और उनके पिता कैप्टन गुरदयाल सिंह ने पहले सेना में व बाद में राज्य सरकार में सेहत सेवाएं दी थीं। सेवानिवृत्त होने के बाद मेजर जनरल सिद्धू ने खेतीबाड़ी तथा गोल्फ का खूब आनंद उठाया। सेना के कई अधिकारी सलाह मशविरा करने के लिए उनके पास आते थे। उन्होंने सैकड़ों लोगों को देश की सेवा के लिए फौज में भर्ती करवाया।