डॉ. जगतार की गजलों को उस्ताद पूरन शाहकोटी ने दी आवाज
जागरण संवाददाता, जालंधर : हर काल कोठरी विच तेरा है जिक्र एददा, गाराच चादनी दा होवे जिवें बसेरा.. उस
जागरण संवाददाता, जालंधर : हर काल कोठरी विच तेरा है जिक्र एददा, गाराच चादनी दा होवे जिवें बसेरा.. उस्ताद पूरन शाहकोटी के मुंह से इन लाइनों को सुन रविवार शाम शहर के तमाम लोग पंजाबी कवि डॉ. जगतार सिंह की याद में पपीहा हो गए। डॉ. जगतार की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर पंजाब जागृति मंच की ओर से केएल सहगल मेमोरियल हाल में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में उस्ताद शाहकोटी ने भावुक होकर कहा कि जब तक वह जिंदा रहेंगे तब तक डॉ. जगतार को श्रद्धांजलि देने के लिए गाते रहेंगे।
शुरू में पपीहा के नाम से लिखने वाले डॉ. जगतार की प्रसिद्ध गजल पर श्रोताओं ने खूब दाद थी। लाइनें थीं हर मोड़ ते सलीबा, हर पैर ते अंधेरा. फिर भी असी रुके ना, साडडा वेख जेरा। डॉ. जगतार जिनकी अधिकतर रचनाएं पंजाब में आतंकवाद के दौर की थीं, उनमें खून खराबे का दर्द झलकता है। हर काल कोठरी विच तेरा है जिक्र एददा, गाराच चादनी दा होवे जिवें बसेरा--- शेर पर श्रोता भावुक हुए बिना नहीं रह सके।
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पहले गजल लेखक डॉ. जगतार की याद में हुए इस कार्यक्रम में शहर की नामचीन शख्सियतें मौजूद थीं। पुलिस कमिश्नर युरेंद्र सिंह हेयर ने डॉ. जगतार की पत्नी गुरबचन कौर, बेटिया डॉ. कंचन सिंह और नीरज सिंह को सम्मानित किया। डॉ. लखविंदर जौहल और संचालक संगत राम ने उनके जीवन की तमाम यादों को साझा किया। उस्ताद पूरन शाहकोटी के साथ ही उनके पोतों और सूफी गायक मास्टर सलीम के बेटों ने भी कई नज्म पेश किए। इस दौरान मंच के सतनाम मानक, डॉ. जगतार के शिष्य दीपक बाली, अमरजोत सिंह, अनूप अबरोल, अमरजीत सेठी, कुलदीप सिंह बेदी, उर्मिल वैद, डॉ. अशोक उप्पल, प्रो. कुलबीर सिंह, धर्मपाल बाली, प्रो. रशपाल, गुरनाम भुल्लर, प्रो. प्यारा सिंह भोगल, इं. एसएस अजिमल, डॉ. सिंगारा सिंह, डॉ. जगमोहन, सीमा, उस्ताद कालेराम, डॉली हाडा, दीपाली बागड़िया और तमाम अन्य उपस्थित थे।