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कृत्रिम रंगों से नहीं खेलें होली

जगदीश कुमार, जालंधर होली के त्योहार को रंगीन बनाने वाले कुदरती रंग धीरे-धीरे केमिकल व सिंथेटिक चाद

By Edited By: Published: Thu, 05 Mar 2015 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 06 Mar 2015 03:59 AM (IST)

जगदीश कुमार, जालंधर

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होली के त्योहार को रंगीन बनाने वाले कुदरती रंग धीरे-धीरे केमिकल व सिंथेटिक चादर ओढ़ने लगे हैं, जो चेहरे लिए खतरनाक साबित होने लगे हैं। सस्ते व घटिया रंग त्वचा के लिए काफी नुकसानदायक हैं।

त्वचा स्किन सेंटर की डायरेक्टर डॉ. अनु गोयल हर्बल रंग से होली खेलने की सलाह देती हैं। होली के बाद हर साल रंग से प्रभावित चेहरे के मरीजों में इजाफा होता है। वहीं अकाल आइ अस्पताल के आंखों की बीमारियों के माहिर डॉ. सतबीर सिंह भौरा होली में प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करने की बात कहते हैं।

रंगों के नुकसान

-सेबेसीयस ग्रंथियों से चमड़ी पर सीबम नामक तेल की परत रंगों से ड्राई हो जाती है। रंग छुड़ाते समय साबुन का इस्तेमाल इसका रूखापन बढ़ा देता है।

-रंगों में मिक्स रेत आदि जैसे कण चेहरे पर घाव उत्पन्न कर देते हैं।

-मिक्स रंग त्वचा पर लगते ही जलन, लालिमा और खुजली पैदा कर देते है।

-रंग में दानेदार कण से आंखों की कार्निया पर घाव हो सकता है तथा आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंच सकता है।

-आंखों में जलन, किरकिरी व दर्द पैदा होने से आंखों में लाली आ जाती है।

ऐसे करें बचाव

-शरीर के खुले भाग पर रंग खेलने से पहले तेल, क्रीम आदि लगा लें।

-रंग लगने के बाद अगर जलन हो, तो तुरंत ही ठंडे पानी से धो लेना चाहिए।

-पहले उबटन लगाकर रंग छुड़ाने की कोशिश करें। बाद में साबुन लगाएं।

-यदि आंखों में रंग चला जाए तो आंखों को धीरे से बंद कर लें। भीचें नहीं, रगड़ें नहीं। स्वच्छ जल से धो लें।

-कृत्रिम रंगों से आंखों में एलर्जी आदि शिकायतें संभव हैं।


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