प्रसव के दौरान 2 माह में 6 महिलाओं की मौत
जागरण संवाददाता, जालंधर : असुरक्षित हाथों में प्रसव जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो रहा
जागरण संवाददाता, जालंधर :
असुरक्षित हाथों में प्रसव जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। सरकार की जच्चा-बच्चा सुरक्षा के प्रति योजनाओं को लागू करने के बावजूद गर्भवती महिलाओं पर संकट के बादल बरकरार हैं।
डॉक्टरों की मानें तो गर्भ के दौरान शूगर, हाई ब्लड प्रेशर, कुपोषण, समय से पहले व देरी से प्रसव मातृ मृत्यु के मुख्य कारण है। गर्भवती महिलाओं की गर्भ के दौरान, प्रसव व प्रसव के 40 दिन बाद जिलेभर में पिछले दो माह में 6 मौतें दर्ज हुई। इन मौतों के कारण की जांच पड़ताल करने के लिए वीरवार को सिविल सर्जन कार्यालय में बैठक आयोजित हुई।
सिविल सर्जन डॉ. आरएल बस्सन ने बताया कि शहरी इलाके सहित करतारपुर, जमशेर खास तथा शाहकोट में 4 मौतें प्रसव तथा 2 मौतें गर्भ के दौरान हुई। उन्होंने कहा कि मातृ मुत्यु दर कम करने के लिए बैठकों में विचार विमर्श कर कारण ढूंढ कर उन्हें खत्म करने की योजना तैयार की जाती है। विभाग की ओर से जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव तक मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं दी जाती हैं। उन्होंने हाई रिस्क प्रसव वाली महिलाओं की सूची तैयार करने की हिदायतें दी। हाई रिस्क प्रसव के लिए महिलाओं के प्रसव के लिए पुख्ता इंतजाम करे चाहिए। उन्होंने पैरा मेडिकल स्टाफ को गर्भवती महिलाओं पर सख्त निगरानी रखने तथा समय-समय पर जांच करवाने के निर्देश दिए। इस मौके पर डॉ. गुरमीत कौर, डॉ. संगीता कपूर, डॉ. गगनदीप सिंह, डॉ. जय किशन, पुरुषोतम लाल व ब्लाक स्तर के एसएमओ व स्टाफ मौजूद था।
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