शहर में सॉलिड वेस्ट प्रोजेक्ट लागू करने का आदेश
जागरण संवाददाता, जालंधर कूड़े की समस्या पर बीते डेढ़ साल से चली आ रही सुनवाई पर मंगलवार को नेशनल ग्
जागरण संवाददाता, जालंधर
कूड़े की समस्या पर बीते डेढ़ साल से चली आ रही सुनवाई पर मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), नई दिल्ली ने अपना फैसला दे दिया। सरकार को आदेश दिया है कि 31 दिसंबर, 2016 तक पंजाब के सभी आठ कलस्टर तो प्रथम चरण में जालंधर कलस्टर में सौ फीसद प्रोजेक्ट लागू किए जाएं। ट्रिब्यूनल ने प्रोजेक्ट लागू करने के लिए विशेषज्ञ पैनल द्वारा तैयार दिशानिर्देश भी सरकार को दिए हैं। साथ ही कहा है कि प्रोजेक्ट लागू करने की दिशा में किए जा रहे प्रयास की प्रत्येक माह रिपोर्ट पेश की जाए।
जालंधर कलस्टर के तहत निगम के 60 वार्डो सहित जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला व नवांशहर की 26 कौंसिलों में प्रोजेक्ट लागू होना है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि इसमें घरों से कूड़ा उठने, लिफ्टिंग व डंपिंग सहित सुरक्षित प्रणाली से कूड़े के निस्तारण का काम मुकम्मल होना चाहिए। निगम यूनियन के विरोध पर सरकार की भारी मशक्कत के बावजूद फिलहाल प्रोजेक्ट के नाम पर शहर के सिर्फ आठ डंपो से ठेका कंपनी द्वारा कूड़ा उठाया जा रहा है। एनजीटी के इस फैसले से शहर में कूड़े व सफाई की चरमरा चुकी व्यवस्था के दुरुस्त होने की उम्मीद जगी है तो कोर्ट द्वारा अंतिम तिथि तय कर देने से सरकार से लेकर निगम व ठेका कंपनी ने भी राहत की सांस ली है। कलस्टर के नोडल अफसर एएस धालीवाल का कहना है कि अभी एनजीटी के आदेश का अध्ययन चल रहा है। बुधवार को इस मसले पर बैठक रखी गई है, जिसके बार पूरे फैसले के बाबत स्पष्ट राय दे सकेंगे।
प्रोजेक्ट विस्तार पर सचिव की बैठक आज
एनजीटी के आदेश के साथ ही सरकार ने प्रोजेक्ट के विस्तार की कसरत शुरू कर दी है। इसी दिशा में निकाय विभाग के सचिव जेएम बालामुर्गन बुधवार को जालंधर में निगम, कौंसिल व ठेका कंपनी अधिकारियों के साथ बैठक कर निगम व कौंसिलों में प्रोजेक्ट के विस्तार पर चर्चा कर एक्शन प्लान तैयार करेंगे।
ट्रिब्यूनल के दिशानिर्देश के खास बिंदू
-प्रत्येक घर, दुकान, संस्थान व होटल आदि में बिन रखे जाएं।
-नियमित डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन हो।
-कलेक्शन, डंपिंग व निस्तारण के सुरक्षित इंतजाम हो अर्थात प्लांट लगाए जाएं।
-रेहड़ा, आटो व छोटी गाड़ियों से गलियों-मोहल्ले से कूड़ा उठाया जाए।
-सब्जी व फल मंडी जैसी जगह, जहां से ज्यादा कूड़ा निकले कलेक्शन के विशेष इंतजाम हों।
-अस्पताल के बायो मेडिकल वेस्ट के मापदंडों के अनुरूप इंतजाम हो।
-पार्क, डेयरी व पशुओं के कूड़े के लिए विशेष इंतजाम हो।
-निर्माण का मलबा उठाने की व्यवस्था हो।
-प्रोजेक्ट से जुड़े स्टाफ का प्रशिक्षण हो।
-कूड़ा उठाने से निस्तारण में कोताही व शिकायत पर स्टाफ पर कार्रवाई हो।
-वार्ड स्तर पर आने वाली समस्या के निपटारे को तीन माह में पार्षदों की बैठक हो
-परेशानी व समस्या को नोडल स्तर पर ध्यान में लाया जाए
तीन साल पहले करार, प्रोजेक्ट अब भी अधूरा
निगम ने जनवरी, 2012 में जेआइटीएफ अर्बन सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के साथ प्रोजेक्ट को लेकर करार किया था, लेकिन निगम सफाई यूनियन के विरोध व हड़ताल से प्रोजेक्ट लटकता रहा। डेढ़ साल की जद्दोजहद के बाद अप्रैल, 2013 में निगम ने प्रोजेक्ट शुरू करने का ऐलान किया, लेकिन यूनियन की हड़ताल पर फिर से मामला लटक गया। पांच नवंबर, 2014 को भारी मशक्तत के बाद प्रोजेक्ट शुरू तो हुआ, लेकिन न डोर-टू-डोर कलेक्शन और न ही सौ फीसद डंपों से लिफ्टिंग। फिलहाल शहर के 70 डंप में आठ डंपों से ठेका कंपनी कूड़ा उठाने का काम कर रही है।
अमल न हुआ तो रास्ते अब भी खुले : गौरव जैन
ढाई साल से हाईकोर्ट से लेकर एनजीटी में लड़ाई लड़ रहे नकोदर के गौरव जैन का कहना है कि अगर फैसले के अनुरूप सरकार ने प्रोजेक्ट लागू न किया तो कोर्ट जाने के रास्ते अब भी खुले हैं। नकोदर में खुले व सड़क किनारे कूड़ा पड़े रहने को लेकर गौरव जैन ने फरवरी, 2013 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जहां से मामले को एनजीटी में भेज दिया गया। उसके बाद गौरव ने जालंधर के सॉलिड वेस्ट प्रोजेक्ट से लेकर केवल विहार कालोनी के सामने बने डंप की समस्या पर एनजीटी में शपथ पत्र देकर सरकार को प्रोजेक्ट पर गंभीर होने को मजबूर कर दिया था।