भाजपा ने आतंकवाद पीड़ितों के लिए मांगा वेलफेयर बोर्ड
जागरण संवाददाता, जालंधर भाजपा आतंकवाद के दौर में मारे गए हिंदू-सिख परिवारों के लिए 781 करोड़ रुप
जागरण संवाददाता, जालंधर
भाजपा आतंकवाद के दौर में मारे गए हिंदू-सिख परिवारों के लिए 781 करोड़ रुपये के राहत पैकेज व वेलफेयर बोर्ड गठित करने की मांग लेकर सामने आई है। पूर्व सेहत मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. बलदेव चावला ने शनिवार को सर्किट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस बारे में 2006 से लंबित पड़े राहत पैकेज की घोषणा करे। भाजपा तीसरी बार पंजाब की सत्ता पर काबिज हुई है, लेकिन तीन दशक से पार्टी की लीडरशिप ने कभी भी आतंकवाद पीड़ित हिंदू परिवारों का मुद्दा नहीं उठाया। अचानक वेलफेयर बोर्ड गठित करने की मांग रखने के सवाल पर डॉ. चावला ने कहा कि उनके दिमाग में ये विचार अभी आया है, इसलिए उन्होंने प्रदेश सरकार से इस बारे में मांग रखी है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के काले दौर में करीब 25 हजार से ज्यादा हिंदू मारे गए थे, लेकिन सरकार ने अपने रिकार्ड में सिर्फ 10,636 नाम ही दर्ज किए हैं। 934 लोग जख्मी हुए थे व 17420 लोग बेघर हुए थे। इन सबके लिए एक सर्वे के बाद 781 करोड़ रुपये के राहत पैकेज का अनुमान तैयार हुआ था। इसकी फाइल 2006 से केंद्र सरकार के पास अटकी हुई है। अभी तक सरकार ने इस पर फैसला नहीं लिया। अब केंद्र में भाजपा की सरकार आ गई है, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेतली से मिलने का समय मांगा है। आतंकवाद पीड़ित परिवारों को मदद के मसले पर कहा कि इन परिवारों को दिल्ली के 1984 के दंगा पीड़ितों की तर्ज पर राहत मिलनी चाहिए। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बारे में डॉ. चावला ने कहा कि वह आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए काफी सरगर्म हैं व कई बार केंद्र सरकार को खत लिख चुके हैं। उन्हीं की बदौलत आतंकवाद पीड़ित परिवारों के लिए पेंशन 2500 से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रतिमाह की गई हैं।
पति की मौत के बाद अब तक कुछ नहीं मिला
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- आतंकवाद पीड़ित महिलाओं ने कहा सरकारी नौकरी तो दूर की बात, पेंशन के भी पड़ गए हैं लाले
जागरण संवाददाता, जालंधर
आतंकवाद पीड़ित परिवारों ने इस बीच डॉ. चावला के समक्ष अपनी परेशानी बताई। वल्टोहा से आई हरभजन कौर ने बताया कि उनके पति होमगार्ड थे, जिन्हें 1988 में गोलियों से मार दिया गया। तब से अब तक उन्हें राहत के नाम पर कुछ भी नहीं मिला। सरकारी नौकरी तो दूर की बात, घर का खर्च चलाने के लिए पेंशन तक नहीं मिलती। पति की मौत के बाद धक्के खाने के बावजूद एक्स ग्रेशिया ग्रांट तक जारी नहीं हुई। उनके दो बच्चे हैं। पति की मौत के वक्त उनकी उम्र 40 साल थी। बच्चों को पालने तक के लाले पड़ गए हैं। मायके परिवार ने उनके बच्चों की परवरिश की है। सरकार ने पेंशन बढ़ाकर 5 हजार रुपये प्रतिमाह तो कर दी है लेकिन यह छह महीने में एक बार मिलती है। वह भी दो महीने की। बाकी की पेंशन कहां जाती है, कुछ पता नहीं। कई नेताओं, मंत्रियों को मिलकर गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। कुछ ऐसी ही परेशानी बाकी महिलाओं की भी थी। डॉ. चावला ने कहा कि वह प्रयास कर रहे हैं, लेकिन राहत पैकेज की घोषणा होने के बाद ही लोगों को असल राहत मिलेगी।