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बसपा की पंजाब बचाओ मुहिम

जागरण संवाददाता, जालंधर बसपा ने शनिवार को डॉ. भीम राव अंबेडकर चौक से पंजाब बचाओ मुहिम शुरू की। पंज

By Edited By: Published: Sun, 02 Nov 2014 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 07:03 PM (IST)
बसपा की पंजाब बचाओ मुहिम

जागरण संवाददाता, जालंधर

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बसपा ने शनिवार को डॉ. भीम राव अंबेडकर चौक से पंजाब बचाओ मुहिम शुरू की। पंजाब में नशे के खात्मे, शिक्षा व सेहत सेवाओं में सुधार, दलितों पर अत्याचार रोकने, पंजाब के 1.25 लाख करोड़ के कर्ज को उतारने के लिए गलत आर्थिक नीतियों में बदलाव, किसानों-मजदूरों का आर्थिक संकट से छुटकारा, विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद होने से बचाने, अनुसूचित जातियों व पिछड़े वर्गो के मुलाजिमों के रद किए रोस्टर सिस्टम को बहाल करवाने आदि को लेकर यह मुहिम शुरू की गई है।

इन मुद्दों पर आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से बसपा वर्करों ने डॉ. अंबेडकर चौक से लेकर डीसी दफ्तर तक मार्च किया, जहां डीसी कमल किशोर यादव को मांगपत्र सौंपा गया। इससे पहले डॉ. अंबेडकर चौक पर वर्करों को संबोधित करते बसपा के प्रदेश प्रधान व राज्यसभा सांसद अवतार सिंह करीमपुरी ने कहा कि पंजाब की स्थापना एक नवंबर, 1966 को गई थी। तब से लेकर अकाली, भाजपा व कांग्रेस की सरकारे ही प्रदेश में शासन करती आ रही है। इन पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए नशे बांटे और अपनी सरकारों में भी नशे के प्रसार पर कोई रोक नहीं लगाई। इनसे नशे के खात्मे की उम्मीद नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की शह पर करतारपुर पुलिस द्वारा नंगल अराइयां व आदमपुर पुलिस द्वारा खुर्दपुर में निर्दोष दलितों पर दर्ज झूठे मामले रद किए जाएं। डॉ. सुप्रिया की मौत के जिम्मेवार डाक्टरों, लुधियाना के जमालपुर में दलित भाइयों के हत्यारों व नाथपाल ढिलवां पर हमला करने वालों को सख्त सजा दी जाए। संगरूर जिले के गांव बाओपुर व तारंडी ख्यारा में गुरु रविदास मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों पर रोक लगाई जाए। पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कीम लागू की जाए। उन्होंने कहा कि सफाई मुलाजिमों की मांग के मद्देनजर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट रद किया जाना चाहिए। करीमपुरी ने कहा कि पंजाब में अनुसूचित जाति के कोटे की 125 एमबीबीएस की सीटे दूसरे वर्गो को दे दी गई है। इससे भाजपा का दलित विरोधी चेहरा नंगा हो गया है।

इस मौके पर बसपा नेता अजीत सिंह भैणी, गुरमेल चुंबर, बलदेव खैहरा, गुरलाल सैला, नछत्तर पाल, बाबू सुंदर पाल, जरनैल नंगल, बलविंदर कुमार, हरमेश गढ़ा, ठेकेदार रजिंदर सिंह, रजिंदर रीहल, सेवा सिंह रत्तू, कमल देव जंडूसिंघा, देहाती प्रधान बलवीर सिंह तेहंग, शहरी प्रधान धर्मवीर धम्मा, सुमित्र सीकरी, स्वर्ण सिंह सग्गू, बलविंदर बिट्टा, जगदीश शेरपुरी, मास्टर राम लुभाया, सुखराम चौहान, हंस राज राणा, जगदीश राणा, राम सरूप सरोए, अमृत भौंसले, लाल चंद औजला, नाथपाल ढिलवां, सुरिंदर महे, राकेश बग्गा, मदन मद्दी, तारा चंद भगत, दलजीत राय, मनजीत अटवाल, गुरबख्श महे, हरबंस लाल भगत, चमन लाल, बलिहार मुठड्डा व दूसरे नेता भी मौजूद थे।


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