हालात के अखाड़े में कुश्ती लड़ सोने पर लक्ष्य
अविनाश चतुर्वेदी, जालंधर प्रदेश में पारंपरिक खेल कुश्ती को जिंदा रखना हालात से कुश्ती लड़ने जैसा ह
अविनाश चतुर्वेदी, जालंधर
प्रदेश में पारंपरिक खेल कुश्ती को जिंदा रखना हालात से कुश्ती लड़ने जैसा है। कहीं संसाधन नहीं हैं तो कहीं खिलाड़ी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। किसी-किसी खुशनसीब को जरूरतभर की डाइट मिल पाती है। बावजूद इसके हौसलों की बात करें तो हालात के अखाड़े में जूझ रही प्रदेश की महिला पहलवानों का निशाना सोने पर है। दैनिक जागरण ने हंसराज महिला महाविद्यालय में राज्य स्तरीय शिविर में शामिल प्रदेश की कुछ महिला पहलवानों से बातचीत की।
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भारतकुमारी रह चुकी होमगार्ड की बेटी प्रीति
बथवाला गुरदासपुर की प्रीति के पिता होमगार्ड हैं। औसत परिवार में चार बहन-भाइयों में सबसे बड़ी प्रीति हमेशा बड़ा सोचती हैं। पड़ोस की लड़कियों को देख कुश्ती शुरू की। हालांकि प्रीति को सरकार से जरूरी मदद नहीं मिल पाई, लेकिन अपनी मेहनत से उन्होंने सबका ध्यान खींच लिया। 2012 में प्रीति ने होशियारपुर में आयोजित प्रतियोगिता में भारतकुमारी का खिताब जीता। फिर सीनियर नेशनल में रजत पदक जीता। 2013 में प्रीति ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप साउथ अफ्रीका में 2013 में कांस्य पदक जीतकर पंजाब का नाम रोशन किया। नेशनल के लिए शिविर में हिस्सा ले रही प्रीति का लक्ष्य 2016 में ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना है।
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गीता फौगाट की तरह गगन छूना चाहती हैं गगनदीप
एचएमवी कॉलेज में बीए दूसरे साल की छात्रा गगनदीप कौर चार बहन-भाइयों में सबसे छोटी हैं। पांच साल पहले 10वीं की पढ़ाई के साथ कुश्ती के अखाड़े में उतरी। अभी तक स्कूल नेशनल्स में दो कांस्य पदक जीते हैं और सीनियर स्टेट में स्वर्ण पदक। मोगा जिले के कस्बा निहालसिंहवाला की गगनदीप अभिभावकों व एचएमवी का नाम रोशन करना चाहती हैं। गगनदीप हरियाणा की बेस्ट प्लेयर गीता फौगाट की तरह पंजाब का नाम रोशन करना चाहती हैं।
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कुलविंदर कौर को है सरकार से शिकायत
संगरूर जिले के गांव छाजली की कुलविंदर कौर ने जूनियर नेशनल में कांस्य पदक 2013 में जीता है। वह पिछले पांच साल से कुश्ती का अभ्यास कर रही हैं। एचएमवी में बीए सेकेंड ईयर की छात्रा कुलविंदर अपने परिवार में चार बहनों में सबसे छोटी हैं। 75 किलो भार वर्ग में नेशनल की तैयारी कर रही कुलविंदर एशियन और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक लाना अपना लक्ष्य बताती हैं। कुलविंदर का कहना है कि यदि सरकार खिलाड़ियों को पूरी मदद दे तो वे और बेहतर कर सकते हैं।
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कांस्य की कमी नहीं, अब चाहिए सोना
तरनतारन के फौजी अजीत सिंह की चौथे नंबर की बेटी राजविंदर कौर को शुरू से ही कुश्ती का शौक था। राजविंदर कौर पिछले तीन साल से पंजाब पुलिस में सेवारत हैं। राजविंदर ने सीनियर नेशनल 2007 में 59 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीता है। ऑल इंडिया पुलिस खेलों में 63 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक और साल 2012 और साल 2013 के नेशनल में भी कांस्य पदक जीता। फिलहाल 63 किलो भार वर्ग में अभ्यास कर रही राजविंदर का लक्ष्य एशियन और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतना है।
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बेअंत को चमकाना है पुलिस खेलों में अपने विभाग का नाम
फरीदकोट की बेअंत कौर तीन साल पंजाब पुलिस में सेवा कर रही हैं। पंजाब पुलिस से ही सेवानिवृत्त पिता हरदीप सिंह ने उन्हें बचपन से ही कुश्ती के लिए प्रेरित किया। 2004 में बेअंत ने टर्की में हुई अंतराष्ट्रीय कुश्ती मुकाबले में 46 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीता। इसके बाद वह सीनियर नेशनल 2005 में 48 किलो भार वर्ग में कांस्य पदक जीतने में सफल रही। उन्होंने ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कोल्हापुर में 2007 में कांस्य पदक और 2005 में फरीदकोट में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता में भारत केसरी का पदक भी जीता। फिलहाल बेअंत का लक्ष्य अखिल भारतीय पुलिस खेलों में अपने विभाग के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।
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रजनी की लड़ाई भी सोने के लिए
अमृतसर के व्यवसायी कुलदीप भल्ला की बेटी रजनी फिलहाल पंजाब पुलिस में कार्यरत हैं। एशियन चैंपियन कैडेट रही रजनी ने ऑल इंडिया पुलिस खेल 2012 और 2013 में 58 किलो वर्ग में रजत पदक जीता। जूनियर नेशनल चैंपियनशिप 2006 में 58 किलो भार वर्ग में रजत पदक जीता। रजनी अखिल भारतीय पुलिस खेलों और राष्ट्रीय खेलों में गोल्ड लाने के लिए परिश्रम कर रही हैं।