डेंगू व मलेरिया पर नहीं चलेगी निजी डॉक्टरों की मनमानी
जगदीश कुमार, जालंधर
नवदीप सिंह (बदला हुआ नाम) लुधियाना में निजी कंपनी में बिजिनेस एजेंट का काम करता है। 2012 में बीमारी होने के बाद निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुआ तो डॉक्टरों ने डेंगू बताया। इलाज में उसके करीब 35 हजार रुपये खर्च हो गए थे। जब डॉक्टर से डेंगू होने का रिकॉर्ड मांगा तो वह उन्हें संतुष्ट करने में नाकाम रहा। सरकारी डॉक्टरों ने वायरल फीवर की आशंका जताई। अब डेंगू व मलेरिया को लेकर निजी अस्पतालों का मरीजों पर बेवजह मनमर्जी नही चलेगी। डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी पर मरीज को डेंगू होने की पुष्टि नहीं कर सकेगा। पंजाब ने डेंगू व मलेरिया को नोटिफाइड बीमारी घोषित कर दिया है। सेहत विभाग ने तमाम जिलों में फरमान जारी कर दिया है। हालांकि सेहत विभाग का संदेश सभी निजी डॉक्टरों तक नही पहुंचा है।
डेंगू-मलेरिया सरकारी पिंजरे में
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव विनी महाजन के अनुसार एपीडेमिक एक्ट 1897 में संशोधन कर पंजाब एपीडेमिक डिजिजीज मलेरिया एवं डेंगू रेगुलेशन 2014 का नाम दिया है। इसके तहत बीमारी पर काबू पाने के लिए संपूर्ण नेटवर्क तैयार किया गया। रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) के आधार पर डेंगू मलेरिया की पुष्टि नहीं स्वीकार की जाएगी। डेंगू संदिग्ध मरीज के खून का सैंपल सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में सेंटीनल सर्विलांस अस्पताल (एसएसएच) में भेजा जाएगा और एलिजा (एंजाइम लिंकड इम्यूनोसोरबेंट एैसे) में पाजिटिव आने पर पुष्टि होगी। इससे पहले निजी डॉक्टरों व सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों को डेंगू के संदिग्ध मरीज की सूचना संबंधित जिले सिविल सर्जन को देनी होगी। एक्ट को दरकिनार करने वालों को खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है।
मरीजों व डॉक्टर के लिए समस्या
आइएमए प्रदेश प्रधान डॉ. सुधीर राज का कहना है कि इससे मरीज परेशान होगा। लैब जांच के नतीजे में देरी से इलाज में विलंब होगा। इस बीमारी में मरीज का इलाज तुरंत शुरू होना जरूरी है। सेहत विभाग ने हिदायतें जारी की है सभी जिलों को पालना करने में पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।
डेंगू से लड़ने के लिए विभाग तैयार
स्टेट एपीडिमोलाजिस्ट डॉ. गगनदीप सिंह का कहना है कि फिलहाल पंजाब में डेंगू के 50 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। मरीजों की पुष्टि करने के लिए जांच के लिए करीब 64 मैकेलिजा व 30 एनएस1 एंटीजन किटें आइजीएम स्टॉक में है। आपातकालीन में केन्द्र सरकार 50 अतिरिक्त किटें तुरंत भेजेगा। हर जिले में लैबोरेटरी स्थापित की दी है। मुलाजिमों की कमी को पूरा करने के लिए सेहत विभाग ने 40 शहरों में 140 अस्थायी मुलाजिम रखने की योजना बनाई है। प्लेटलेट्स तैयार करने के लिए जालंधर में 2 व लुधियाना,बठिंडा, अमृतसर, होशियारपुर व मोहाली में एक-एक एफरेसिस यूनिट चालू हालत में है। इसके अलावा हर जिलें में ब्लड कांम्पोनेंट सेपरेटर है। निजी डॉक्टरों की अधिसूचना की सूचना देने के लिए सिविल सर्जनों को हिदायतें दी है।