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नशे पर पुलिस का डंडा, स्वास्थ्य विभाग पड़ा है ठंडा

हजारी लाल, होशियारपुर पुलिस तो नशे के सौदागरों को सलाखों में पहुंचा रही है, मगर स्

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 May 2017 06:33 PM (IST)Updated: Sat, 20 May 2017 06:33 PM (IST)
नशे पर पुलिस का डंडा, स्वास्थ्य विभाग पड़ा है ठंडा
नशे पर पुलिस का डंडा, स्वास्थ्य विभाग पड़ा है ठंडा

हजारी लाल, होशियारपुर

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पुलिस तो नशे के सौदागरों को सलाखों में पहुंचा रही है, मगर स्वास्थ्य विभाग कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है।

नशीले पदार्थो की तस्करी पर शिकंजा कसने से अब नशेड़ियों को चिट्टा नहीं मिल रहा है। अगर मिल भी रहा है तो काफी महंगा। तलब पूरी करने के लिए नशेड़ियों ने अब मेडिकल नशा का सहारा लेना शुरू कर दिया है।

स्वास्थ विभाग नशे के सौदागरों पर लगाम कसने की डींगें हाकता नहीं थकता, पर कार्रवाई कोई नहीं की जाती। नतीजतन नशे की बिक्री बेखौफ है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि पुलिस तो नशे के खात्मे के लिए जागी है और नशे के सौदागरों को पकड़ रही है, मगर स्वास्थ विभाग की नींद नहीं टूट रही है।

आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो माह में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कहीं पर प्रतिबंधित दवाएं नहीं पकड़ी है। हां, इतना जरूर है कि इस अवधि के दौरान पुलिस ने जरूर चार केस मेडिकल नशा बेचने वालों के पकड़े हैं। जब पुलिस ने प्रतिबंधित दवाइयों को पकड़ लेती है तो स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं? यह खुद ही स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है।

बस इतना ही स्वास्थ्य विभाग अपना दामन पाक-साफ रखने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी करके रखता है, लेकिन नशा बेचने वाले मेडिकल स्टोरों पर शिकंजा कसने की जहमत नहीं उठाई जाती है।

सवास्थ्य विभाग की ओर से की जाने वाली कार्रवाई कोरम पूरा करने वाली लगती है, क्योंकि पैसे के लालच में कुछ मेडिकल स्टोर धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। मालूम पड़ा है कि स्वास्थ्य विभाग के आशीर्वाद से करीबन चार दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर ऐसे चल रहे हैं, जिनके खिलाफ कानूनी शिकंजा कब का कसा जा चुका है। बावजूद मेडिकल स्टोर अपना काम कर रहे हैं, जबकि स्वास्थ विभाग की सख्ती होती तो अब तक ऐसे मेडिकल स्टोरों पर ताले लटके होते।

नियम के मुताबिक छापेमारी के दौरान ड्रग्स टीम दो प्रकार के फार्म भरती है। एंकर फार्म 15 नंबर और दूसरा फार्म 16 नंबर होता है। पंद्रह नंबर फार्म भरने की सूरत में दवाइयां लौटा दी जाती हैं, जबकि सोलह नंबर फार्म भरने पर जब्त दवाइयां लौटाई नहीं जाती। यह भी पता चला है कि कुछ मेडिकल स्टोर वालों पर तो राजनीतिक हाथ भी है, इसीलिए वे डरते नहीं हैं।

यहीं से स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे मेडिकल स्टोर वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते। फिर लाइसेंस रद करने की बजाए रोम जल रहा है ओर नीरु बांसुरी बजा रहा है वाली कहावत चरितार्थ होती है। हालांकि स्वास्थ विभाग यह दावा करता फिरता है कि मेडिकल स्टोरों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखता है, लेकिन इन दावों की हवा महज शहर में बनाए गए शौचालय व सुनसान स्थान ही निकाल देते हैं जहां पर नशेड़ी प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। मेडिकल स्टोर वाले भी पैसे के चक्कर में अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से शहर के सार्वजनिक शौचालयों में नशेड़ी मेडिकल नशा करके वहीं पर सि¨रजें व रेपर फेंक देते हैं। इनकी हालत देखकर लगता है कि वह सार्वजनिक शौचालय नहीं बल्कि नशे करने के अड्डे हैं।

नशे को लेकर पुलिस सख्त : डीएसपी सिटी

डीएसपी सिटी सुख¨वदर ¨सह ने कहा कि पुलिस नशा को लेकर सख्त है। जो भी लोग नशे की गतिविधियों में शामिल हैं, उन्हें पकड़ा जा रहा है। इस मामले में किसी को नहीं बख्शा जाएगा।

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स्वास्थ्य विभाग रख रहा नजर: सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. नरेंद्र कौर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मेडिकल स्टोरों की गतिविधियों पर नजर रख रहा है। किसी भी मेडिकल स्टोर की शिकायत कोई भी व्यक्ति उनसे बेझिझक कर सकता है। उसका नाम गुप्त रखते हुए कार्रवाई होगी।


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