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पुलिस के आशीर्वाद से नकली ट्रेवल एजेंट आबाद

हजारी लाल, होशियारपुर हरेक साल विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी के औसतन 100 मामले दर्ज ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 May 2017 03:01 AM (IST)Updated: Wed, 03 May 2017 03:01 AM (IST)
पुलिस के आशीर्वाद से नकली ट्रेवल एजेंट आबाद
पुलिस के आशीर्वाद से नकली ट्रेवल एजेंट आबाद

हजारी लाल, होशियारपुर

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हरेक साल विदेश भेजने के नाम पर धोखाधड़ी के औसतन 100 मामले दर्ज होते हैं। 700 के करीब शिकायतें आती हैं। भोलेभाले लोग तथाकथित ट्रेवल एजेंटों के शिकार हो रहे हैं। पुलिस मामला तो दर्ज कर लेती हैं, लेकिन शहर में बिना लाइसेंस के बैठे ट्रेवल एजेंटों के गिरेबान पर हाथ डालने की जहमत नहीं जुटा पाती है। पुलिस का रवैया तो यही साबित करता है कि उसके ही आशीर्वाद से यह गोरखधंधा फलफूल रहा है। बात करने पर पुलिस का रटारटाया जवाब होता है कि नकली ट्रेवल एजेंटों पर कारर्वाई होगी, मगर करती कुछ नहीं है। इसी वजह से नकली ट्रेवल एजेंट कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे हैं।

ट्रेवल एजेंटों की गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए नियम जरुर बने हैं। परंतु पुलिस की उदासीनता और आशीर्वाद वाले रवैये से तथाकथित एजेंटों की पौ बारह है। सरेआम ऑफिस खोलकर वह कानून व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते हुए मानव तस्करी के काम में जुटे हैं। भोले भाले युवकों को अपने जाल में फंसाकर ठगने का हथकंडा काफी पुराना होता जा रहा है। हर साल विदेश भेजने के नाम पर सात से आठ सौ की शिकायतें एसएसपी के पास पहुंचती हैं। इनमें से कुछ महज 100 के करीब पर्चे हो जाते हैं, बाकी की शिकायतों जांच के नाम पर फाइलों में ही दौड़ लगाती हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस को ट्रेवल एजेंटों की करतूतों के बारे में जानकारी सब है, लेकिन वह स्वार्थ की नीति में चुप्पी नहीं तोड़ती। ऐसे तथाकथित ट्रेवल एजेंटों पर कार्रवाई न होना पुलिस की कार्यप्रणाली न केवल सवालिया निशाना लगाता है, बल्कि दाल भी काली होने का इशारा करता है।

क्या कहते हैं नियम

नियमों के मुताबिक ट्रेवल एजेंट का काम करने के लिए बाकायदा तौर पर लाइसेंस जरूरी है। इसके बगैर आफिस खोलना तो दूर किसी का पासपोर्ट तक नहीं रखा जा सकता। मगर, पुलिस की उदासीनता से होशियारपुर में तीन दर्जन के करीब तथाकथित ट्रेवल एजेंट सक्रिय हैं। जिले में इनकी संख्या 75 करीब है। शहर में तथाकथित ट्रेवल एजेंट सरेआम आफिस खोल कर बैठे हैं। पुलिस की कुंभकर्णी नींद की वजह से नकली ट्रेवल एजेंटों के हत्थे चढ़ कर भोलेभाले लोग घर की पूंजी गंवाते रहते हैं। पीड़ित पर्चा दर्ज करने में आर्थिक अपराध शाखा के चक्कर लगाकर जूते घिस जाते हैं। स्वयं पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि हर साल अब तो आठ सौ से ज्यादा शिकायतें आने लगी हैं। शिकायतों के अनुपात में महज 20 से 22 प्रतिशत ही पर्चे दर्ज हो पाते हैं। बाकी की शिकायतें ठंडे बस्ते में चली जाती हैं। शिकायतों की लिस्ट इतनी लंबी होती जा रही है कि आर्थिक अपराध शाखा को तीन ¨वगों में विभाजित करना पड़ गया। इससे पुलिस पर काम का बोझ भी बढ़ा है, लेकिन इससे पुलिस परेशानी नहीं समझती है, बल्कि दुकानदारी चलने से खुश होती है। तथाकथित ट्रेवल एजेंटों के पीछे कहीं न कहीं पुलिस की लापरवाही भी साफ झलकती नजर आती है और पुलिस की साख पर बट्टा भी लग रहा है। वर्ना, बिना बिना लाइसेंस के मानव तस्करी का धंधा नहीं हो सकता।

लंबी जांच प्रक्रिया छुड़ा देती है पसीना

ट्रेवल एजेंटों के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार एसएसपी के पास होता है या फिर उसकी गैर मौजूदगी में एसपी रैंक का कोई अधिकारी इंक्वायरी मार्क करता है। इसके बाद आर्थिक अपराध शाखा दोनों पार्टियों को बुलाकर पक्ष सुनती है। पेशी में तामील करने पर में तीन से चार माह का समय लग जाता है। दोनों पार्टियों को तीन-तीन चार-चार बार सुना जाता है। इसके लिए कई मामलों में तो साल का भी समय लग जाता है। आरोप साबित होने पर आर्थिक अपराध शाखा प्रभारी केस को डीएसपी (डी) के पास भेजता है। इसके बाद एसएसपी मंजूरी देता है। फिर संबंधित थाने में पर्चा दर्ज किया जाता है।

किस वर्ष में कितने मामले दर्ज

वर्ष 2005 में 50 मामले।

वर्ष 2006 में 105 मामले।

वर्ष 2007 में 105 मामले।

वर्ष 2008 में 67 मामले।

वर्ष 2009 में 48 मामले।

वर्ष 2010 में 65 मामले।

वर्ष 2011 में 98 मामले।

वर्ष 2012 में 90, मामले।

वर्ष 2013 में 92 मामले।

वर्ष 2014 में 95 मामले।

वर्ष 2015 में 89 मामले।

वर्ष 2016 में 85 मामले।

चालू वर्ष में भी तकरीबन 36 से अधिक ठगी के मामले दर्ज हो चुके हैं।

कमीशन के खेल में निकाला जाता है तेल

ट्रेवल एजेंटों के साथ सब एजेंटों की कमीशन का खेल होता है। काम की गारंटी लेते हुए पेशगी के तौर पर पहले तयशुदा पैसा का कुछ हिस्सा लिया जाता है। ट्रेवल एजेंटों ने अपने नीचे सब एजेंट पाल रखे हैं। नीचे से ऊपर तक कमीशन का खेल ही रहता है। सब एजेंटों का काम ग्रामीण इलाकों के भोले भाले युवकों को सुनहरा सब्जबाग दिखाकर फंसाकर लाना होता है। इनकी मीठी-मीठी बातों में फंसकर युवा फंसकर नारकीय ¨जदगी जीने पर विवश हो जाते हैं।

लिस्ट तैयार की जाएगी

- सभी थानों को हिदायत जाएगी की कि वह बिना लाइसेंस के चल रहे ट्रेवल एजेंट के दफ्तरों की चे¨कग करके बनती कार्रवाई करें। ऐसे एजेंटों की लिस्ट भी तैयार की जाएगी।

-सुख¨वदर ¨सह, डीएसपी सिटी, होशियारपुर।


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