बेखौफ नशा बेच रहे सौदागर
हजारी लाल, होशियारपुर : स्वास्थ्य विभाग नशे के सौदागरों पर लगाम कसने की डींगे हांकता नहीं थकता, पर क
हजारी लाल, होशियारपुर : स्वास्थ्य विभाग नशे के सौदागरों पर लगाम कसने की डींगे हांकता नहीं थकता, पर कार्रवाई कोई नहीं की जाती। नतीजतन नशे की बिक्री बेखौफ है। इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि पुलिस तो नशे के खातमे के लिए जागती है और नशे के सौदागरों को पकड़ रही है, मगर स्वास्थ विभाग की नींद नहीं टूट रही है। लच्छेदार बातें करने वाली अफसर शाही अपना दामन पाक-साफ रखने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी करके रखती है लेकिन नशा बेचने वाले मेडिकल स्टोरों पर शिकंजा कसने की जहमत नहीं उठा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जाने वाली कार्रवाई कोरम पूरा करने वाली लगती है, क्योंकि पैसे की लालच में कुछ मेडिकल स्टोर धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री कर रहे हैं। मालूम पड़ा है कि स्वास्थ्य विभाग के आशीर्वाद से करीबन चार दर्जन से अधिक मेडिकल स्टोर ऐसे चल रहे हैं, जिनके खिलाफ कानूनी शिकंजा कब का कसा जा चुका है। बावजूद मेडिकल स्टोर अपना काम कर रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग की सख्ती होती तो अब तक ऐसे मेडिकल स्टोरों पर ताले लटक जाते। नियम के मुताबिक छापामारी के दौरान ड्रग्स टीम दो प्रकार के फार्म भरती है। एक फार्म 15 नंबर और दूसरा फार्म 16 नंबर होता है। पंद्रह नंबर फार्म भरने की सूरत में दवाइयां लौटा दी जाती हैं जबकि सोलह नंबर फार्म भरने पर जब्त दवाइयां लौटाई नहीं जाती। यह भी पता चला है कि कुछ मेडिकल स्टोर वालों पर तो राजनीतिक हाथ भी है, इसीलिए वे डरते नहीं हैं।
यहीं से स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे मेडिकल स्टोर वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ सकते।
सार्वजनिक शौचालय बने नशे के अड्डे
विभाग की उदासीनता से शहर के सार्वजनिक शौचालयों में नशेड़ी मेडिकल नशा करके वहीं पर सी¨रजें व रेपर फेंक देते हैं। इनकी हालत देखकर लगता है कि वह सार्वजनिक शौचालय नहीं बल्कि नशे करने के अड्डे हैं। इसके अलावा नशा छुड़ाओ केंद्र में पहुंचने वाले मेडिकल नशा के आदी युवक ही सारा कहानी बयां कर देते हैं कि मेडिकल नशा के बिक्री का गंदा खेल किस तरह खेला जा रहा है। नशा छुड़ाओ केंद्रों में दवा खाने वाले आने वाले अधिकतर युवा मेडिकल नशे के ही आदी हैं।
पुलिस प्रशासन नहीं कर सकता चैकिंग
नियमों के मुताबिक पुलिस प्रशासन मेडिकल स्टोर के अंदर जाकर चे¨कग नहीं करता है। मेडिकल स्टोर के अंदर स्वास्थ्य विभाग ही छापेमारी कर सकता है, लेकिन कुछ मेडिकल स्टोरों के साथ मिलीभगत होती है। यहां तक कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से कभी कभार की जाने वाली कार्रवाई भी महज दिखाने के लिए ही होती है। पुलिस प्रशासन तो सूचना मिलने पर बाहर ले जाकर प्रतिबंधित दवाओं बेचने वाले सौदागरों को पकड़ती है। मेडिकल स्टोर की चे¨कग न करने की मजबूरी से चंद पैसों की लालच में बिना डाक्टर की पर्ची के प्रतिबंधित दवाएं बेचने वालों पर शिकंजा नहीं कस पाता है।
बिना डाक्टर की पर्ची के नहीं बेची जा सकती दवाएं
नियमों के अनुसार प्रतिबंधित दवाओं को बिना डाक्टर की पर्ची के नहीं बेचा जा सकता है। मगर, कुछ मेडिकल स्टोर मालिक चंद पैसे की लालच में नशेड़ी युवकों को प्रतिबंधित दवाएं देते हैं और उनसे मुंह मांगी कीमत वसूलते हैं। यह सारा खेल कोड वर्ड में चलता है।
स्वास्थ्य विभाग नजर रख रहा है : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. नरेंद्र कौर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग मेडिकल स्टोरों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। टीम गठित की गई है। चे¨कग भी का जाती है। किसी भी मेडिकल स्टोर की शिकायत कोई भी व्यक्ति उनसे बेझिझक कर सकता है। उसका नाम गुप्त रखते हुए कार्रवाई होगी।