कुछ एटीएम दोपहर को तो कुछ शाम को हो गए बंद
संवाद सहयोगी, होशियारपुर : अब तो यह भी याद नहीं रहा कि कितने दिनों से बैंक के चक्कर लगा रहे र्है,हर
संवाद सहयोगी, होशियारपुर : अब तो यह भी याद नहीं रहा कि कितने दिनों से बैंक के चक्कर लगा रहे र्है,हर दिन खाली हाथ ही घर वापस जाना पड़ रहा है। हम तो आठ-दस किलोमीटर दूर से आते है और जैसे ही बैक तक पहुंचते है तो इतनी लंबी कतार देख कर तो पहले मन ही घबरा जाता है कि हमारा नंबर आएगा भी या नहीं। एक तो हम मजदूर है कोई सीधे मुंह बात भी नहीं करता हमारे साथ। जैसे तैसे एटीएम के दरवाजे तक पहुंचते है तो पता चलता है कैश खत्म हो गया। यह एक दिन से नहीं बल्कि चार-पांच दिन से हो रहा है। यह कहना है खुशी राम का जो ईट के भट्ठे पर काम करता है। खुशी राम ने कहा कि घर के चार लोग ईंट के भट्ठे पर काम करते हैं बाकी तीन काम पर चले जाते है। यहां से बैरंग ही घर जाना पड़ रहा है। पहले तो यह सोचते थे कि चलो दिसंबर माह में हालात ठीक हो जाएंगे और सारा काम ठीकठाक चल पड़ेगा। बैंक वाले भी यही कह रहे थे कि एक दो दिन में सब ठीक हो जाएगा। मगर दिसंबर माह के भी सात दिन बीत गए है और हमें तो एक बार भी पैसे नहीं मिले है।
रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को सारे एटीएम खुलते ही बाहर लंबी-लंबी कतारे लग गई थी। दोपहर तक जिनको पैसे मिले उनके चेहरे पर तो खुशी झलक रही थी मगर जिनको पैसे नही मिले वह बुरी तरह से मुरझाया मुंह लेकर घर वापिस जा रहे थे। कुछ एटीएम तो बारह बजे ही बंद हो गये थे और कुछ ने शाम पांच बजे हाथ खड़े कर दिए थे।
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