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मच्छरों से जंग में सरकारी तंत्र 'अपंग'

हजारी लाल, होशियारपुर बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों से दो-दो हाथ करने वाले स्वास्थ्य विभाग के पास

By Edited By: Published: Sat, 25 Apr 2015 01:04 AM (IST)Updated: Sat, 25 Apr 2015 01:04 AM (IST)
मच्छरों से जंग में सरकारी तंत्र 'अपंग'

हजारी लाल, होशियारपुर

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बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों से दो-दो हाथ करने वाले स्वास्थ्य विभाग के पास फौज ही नहीं है। सही मायने में मच्छरों से जंग करने में विभाग अपंग है। कागजों में मच्छर मरते हैं। असलियत में मच्छर लोगों के कान खाते हैं। स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि नगर निगम के पास भी मच्छरों को मार गिराने के लिए प्रबंध दिखावे के हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग मलेरिया दिवस मनाकर लंबी-चौड़ी बातें करता है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।

शहरी मोर्चा संभालने के लिए स्वास्थ्य विभाग की एंटी लारवा टीम है। इसी के कंधे पर मच्छरों की मारने की जिम्मेदारी होती है। मगर, इस टीम की भी हालत पतली हो चुकी है। वर्ष1988 में एंटी लारवा टीम का गठन करके 30 मुलाजिमों को तैनात किया गया था। उस समय शहर की आबादी कम थी तो मुलाजिम ज्यादा थे। अब जबकि आबादी बढ़ी है तो मुलाजिमों रिटायरमेंट और भर्ती न होने से मुलाजिमों की संख्या 18 के आसपास ही सिमट कर रह गई है। कुल मिलाकर एंटी लारवा का काम कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रह गया है। ग्रामीण इलाकों में मच्छरों से लड़ने की जिम्मेदारी 350 एएनम और 140 मल्टीपर्पस हेल्थ वर्करों के कंधों पर है। आबादी के हिसाब से इनकी संख्या बौनी होती है। इनका काम कहीं पर मलेरिया का केस आने पर वहां पर जाकर हाजिरी लगाने के अलावा और कुछ नहीं होता। और तो और पालदी और पोसी में तो यह भी व्यवस्था नहीं है।

बाहर नहीं निकली नगर निगम की फॉगिंग मशीन

उधर, नगर निगम की फॉगिंग मशीन अभी मच्छरों को मारने के लिए बाहर नहीं निकली है। इससे तो यही लगता है कि जैसे सरकारी तंत्र बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए नहीं, बल्कि उसके डंक मारने के बाद सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाने का काम करेगी। स्वास्थ्य विभाग को न तो मच्छरों को मारने के लिए दवाइयों के छिड़काव की चिंता है और न ही निगम को फॉगिंग की। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर इसी तरह दफ्तरों में बैठ कर दो-दो हाथ करने के दावे किए जाते रहे तो स्थिति भयंकर हो सकती है।

जिले में किस वर्ष कितने मलेरिया के केस

-वर्ष 2011 में 67 केस

-वर्ष 2012 में 38 केस

-वर्ष 2013 में 27 केस

-वर्ष 2014 में 22 केस

-चालू वर्ष में 1 केस आ चुका है।

नोट:- मलेरिया सीजन- जून से नवंबर माह के बीच होता है।

ऐस फैलता है मलेरिया

एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. मनीष के अनुसार मलेरिया बुखार एनाफेलीज मादा मच्छर के काटने से पनपता है। इसमें तेज बुखार, कंपकंपी छूटती है। सिरदर्द और बुखार चढ़ता-उतरता रहता है।

कैसे करें बचाव

मलेरिया बुखार से भी बचने के लिए घरों के आसपास मच्छरों को नहीं पैदा होने देना चाहिए।

ये सावधानियां बरतें

-अगर खुले में सो रहे हैं तो मच्छरदानी जरूर लगाएं।

- कमरे में सोते वक्त जाली वाली खिड़की का प्रयोग करें।

-मच्छर मारने वाली दवाइयों का भी प्रयोग कर सकते हैं।

- शाम से लेकर रात के वक्त में ऐसे मच्छर का ज्यादा प्रकोप होता है। इस वक्त ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता होती है।

-बुखार होने की सूरत में तुरंत रक्त जांच कराएं और उसके अनुरूप दवाइयां लें।

मुस्तैद है विभाग की टीम : डॉ. मनीष

जिला एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. मनीष ने कहा कि मलेरिया के मद्देनजर टीम को मुस्तैद कर दिया गया है। शहरों में एंटी लारवा की टीम और गांवों में एएनएम व मल्टीपर्पज हेल्थ वर्कर मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। आबादी बढ़ने के साथ मुलाजिमों के कम होने के बाबत उन्होंने कहा कि पहले मलेरिया के केस ज्यादा आते थे और अब कम आते हैं। इसीलिए मुलाजिमों को और जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जल्द शुरू होगी फॉगिंग : मेयर शिव

मेयर शिव सूद ने कहा कि नगर निगम के पास एक फॉगिंग मशीन है। जल्द ही तीन छोटी मशीनें भी खरीदी जा रही हैं। यह गलियों में भी घूमेंगी। जल्द ही फॉगिंग का काम शुरू करवा दिया जाएगा।


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