दो महिलाओं समेत दस तस्कर नशीले पदार्थो के साथ गिरफ्तार
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : जिला पुलिस ने नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसते हुए पिछले चौबीस घंटे में
जागरण संवाददाता, होशियारपुर : जिला पुलिस ने नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसते हुए पिछले चौबीस घंटे में 10 लोगों को गिरफ्तार करके 757 ग्राम नशीला पाउडर और दो जगहों से 10 किलोग्राम चूरा पोस्त बरामद किया है। पुलिस की कार्रवाई से लगता है कि जैसा उसने एक बार फिर से तस्करों पर शिकंजा कसने का मन बना लिया है। गढ़शंकर पुलिस ने नशा तस्करी के चार मामले, थाना माडल टाउन ने दो, मेहटियाना और टांडा ने एक-एक मामले दर्ज किए हैं।
किस थाने ने किस आरोपी को किया गिरफ्तार
-गढ़शंकर : रजनी देवी पत्नी मेजर सिंह निवासी देनोवाल खुर्द को 60 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार किया है।
-गढ़शंकर : सतपाल निवासी देनोवाल खुर्द को 80 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार किया है।
-गढ़शंकर : लखविंदर सिंह निवासी देनोवाल खुर्द को 50 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार किया है।
-गढ़शंकर : हैप्पी निवासी पेटिया मोहल्ला गढ़शंकर को 250 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार किया है।
-माडल टाउन : नरिंदर सिंह निवासी दोस्तपुर गुरदासपुर को आठ किलोग्राम चूरा-पोस्त समेत गिरफ्तार किया है।
-माडल टाउन : जसविंदर सिंह निवासी अजड़ाम को 277 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार किया है।
-मेहटियाना : बलदेव सिंह निवासी हरखोवाल को दो किलो चूरा-पोस्त समेत गिरफ्तार करके मामला दर्ज किया है।
-थाना टांडा : पूजा निवासी निवासी चौटाला को 30 ग्राम, रजिंदर निवासी बैंच खुद व रोशनदीप निवासी चौटाला को 10-10 ग्राम नशीला पाउडर समेत गिरफ्तार करके मामला दर्ज किया है।
'कैपरी' के दीवाने युवा, दांव पर भविष्य
क्रासर
-नशीले पाउडर की कोडवर्ड है कैपरी
-17 से 30 साल के युवा नशे की दलदल में
-कोई शौक, तो कोई गम भुलाने के चक्कर में नशे का गुलाम
हजारी लाल, होशियारपुर
नशा खात्मे के लिए पुलिस डाल-डाल चलती है तो नशे के सौदागर काले धंधे को अंजाम देने के लिए पात-पात चलते हैं। नशीला पाउडर यानी की चिंट्टा का कोर्ड वर्ड पुराना हो चला है। कोड वर्ड में नशे के सौदागरों ने नशीला पाउडर को कैपरी और हाफ कैपरी कहते हैं। यानी नशेड़ी को यदि फुल डोज चाहिए तो वह कैपरी भिजवाने की डिमांड करता है और आधी डोज चाहिए तो हाफ कैपरी कहता है। कैपरी का मतलब एक ग्रामी और हाफ कैपरी का मतलब होता है कि आधी ग्रामी। नशेड़ियों के इस कोड वर्ड से पुलिस भी गच्चा खा जाती है। और तो और साथ में बैठा व्यक्ति भी नशे के कोडवर्ड को भांप नहीं पाता है।
पड़ताल करने पर मालूम पड़ा है कि चार हजार में फुल कैपरी मिलती है और दो हजार में हाफ कैपरी मिलती है। नाम न छापने की शर्त पर नशा छोड़ने के लिए दवा का सेवन कर रहे नशेड़ी बताते हैं कि शहर में नशे का गढ़ बहादुरपुर में है। यहां पर अभी भी कुछ घरों में नशे की सप्लाई होती है। भगत नगर, रविदास नगर, बलवीर कालोनी और सुंदर नगर इलाके में नशीले पाउडर की सप्लाई होती है। युवा वर्ग नशीले पाउडर के सेवन आदी हैं। कैपरी न मिलने पर वह नीले घोड़े और बंदूक व कारतूस (प्रतिबंधित कैप्सूल और प्रतिबंधित टीके) का सहारा लेते हैं। क्योंकि नशा न मिलने पर उनका शरीर टूटने लगता है। इसके बाद उन्हें खुद को संभालना मुश्किल सा हो जाता है।
खातिरदारी से शुरुआत, फिर नशे की गुलामी
नशे के भंवर में फंसे युवाओं को सोसायटी दल-दल में धकेलती है। दोस्ती में शौक-शौक में नशे की खातिरदारी, धीरे-धीरे ऐसा घर जाती है कि वह निकलने का नाम नहीं लेती है। आलम यह होता है कि युवा पीढ़ी नशे की गुलाम होकर उसके इशारों पर नाचने लगती है। मौजूदा वक्त में आंकड़ों के मुताबिक जिले में करीब 500 युवक नशे के चक्रव्यूह में फंसे हैं। एक दर्जन के करीब लड़कियां भी नशे के दल-दल में फंसी हैं। ऐसे युवाओं की आयु 17 से लेकर 30 साल के बीच में है। नशेड़ी बनते युवाओं के पीछे गहरी दोस्ती ज्यादा अहम रोल अदा करती है। दोस्ती की कसम देकर दो-चार बार चिंट्टे का सुरूर उन्हें उसका गुलाम बना देती है।
सोहबत बनाती है नशेड़ी : डॉ. राज कुमार
सरकारी अस्पताल होशियारपुर के मनोचिकित्सक डॉ. राजकुमार कहते हैं कि काउंसलिंग के दौरान यह बात सामने आ रही है कि युवाओं को उनकी सोसायटी नशेड़ी बनाती है। दोस्ती में नशा का जन्म होता है। फिर सोसायटी ऐसी बनती जाती है कि वह नशे के भंवर से बाहर नहीं निकलने देती। ज्यादातर युवा नशीले पाउडर का सेवन कर रहे हैं। मेडिकल नशा भी करते हैं।
बख्शे नहीं जाएंगे नशे के सौदागर : एसपी डोगरा
एसपी नरेश डोगरा ने कहा कि नशे के सौदागर किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे। सभी थानों को सख्ती बरतते हुए कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं। तस्करों को पकड़वाने के लिए जनता उन्हें बेझिझक फोन कर सकती है। नाम गुप्त रखते हुए तस्करों के खिलाफ कार्रवाई होगी।