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गढ़शंकर में नेताविहीन भाजपा

संवाद सहयोगी, गढ़शंकर : नगर कौंसिल के चुनाव में यहां अजाद उम्मीदवार आठ जीते जिसमें से एक अजाद बाकी स

By Edited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 07:59 PM (IST)
गढ़शंकर में नेताविहीन भाजपा

संवाद सहयोगी, गढ़शंकर : नगर कौंसिल के चुनाव में यहां अजाद उम्मीदवार आठ जीते जिसमें से एक अजाद बाकी सभी कांग्रेंस समर्थित हैं। अकाली दल ने चार सीटों पर कब्जा किया जिसमें सोमनाथ बंगड़ ने वार्ड 6 व 12 में जीत दर्ज की जिसके लिए उन्हे एक वार्ड छोड़ना पड़ेगा। भाजपा के हिस्से में सात सीटे आई थीं। वार्ड नंबर सात से उम्मीवार द्वारा अपने कागज वापस लेने से पार्टी के छह उम्मीवार मैदान में रह गए थे। इनमें से वार्ड नंबर एक से नीलम रणदेव ही भाजपा की साख बचाने में कामयाब हुई।

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भाजपा की शर्मनाक हार के कारणों में सबसे पहला है शहर में भाजपा का गिरता जनाधार। इसी कारण वार्ड नंबर सात के उम्मीवार ने अपने कागज दाखिल ही नहीं किए और इलाके में कोई ऐसा बड़ा नेता नहीं जो भाजपा का नेतृत्व करने में सक्षम हो। अगर कहा जाए कि भाजपा गढ़शंकर में नेताविहीन है तो गलत नहीं होगा। 2002 के विधानसभा के चुनाव के समय क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा था। अविनाश राय खन्ना यहां के एमएलए थे, जो 2004 के संसदीय चुनावों में एमपी चुने गए। तब भी खन्ना को यहां से सर्वाधिक मत पड़े थे। दूसरा कारण गुटबाजी माना जा रहा है। भाजपा के बड़े नेता चुनाव प्रचार से गायब रहे। जिसमें सूद धड़े से ताल्लुक रखने वाले महिंदर पाल मान थे, जिन्हे इस चुनाव का भाजपा की तरफ से इंचार्ज लगाया गया। 2012 में समझौते में सीट अकाली दल को जाने के कारण वह यहां से गायब ही रहे।

उन्हें इंचार्ज लगाने की बात टकसाली भाजपा नेताओं को रास नहीं आई। महिंदर पाल मान के इंचार्ज लगने के कारण भाजपा के एमएलए टिकट के दावे दार और शहर में ही रहने वाले खन्ना के खासमखास इन्हें चुनावों से गायब रहे। यहां तक के खन्ना खुद भी इस चुनाव में एक दिन के लिए भी नहीं आए। जब के उनके भाई सुनील कुमार लवली खन्ना वार्ड नंबर तीन चुनाव लड़ रहे थे जिनकी हार का सबसे बड़ा कारन खन्ना की गैरहाजिरी माना जा रहा है। टिकटों का बटवारा भी भाजपा की हार का बड़ा कारन माना जा रहा है। बड़े कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतारे गए जिसका दोष दोनों पक्ष के नेता एक-दूसरे पर लगा रहे है। इसके चलते ही वार्ड नंबर चार से भाजपा की उम्मीदवार 435 मतों से हारीं जो कि चुनावों में सबसे बड़ी हार है।

टिकट देने में मेरी बात नहीं मानी गई : मान

नगर कौंसिल के चुनाव के इंचार्ज महिंदर पाल सिंह मान से बात करने पर उन्होंने कहा कि उनकी रिकमैंडएशन के अधार पर टिकटे नहीं दी गई जिस कारण इतनी बड़ी पराजय हुई।


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