भागवत से ही मानव जीवन का कल्याण संभव
संवाद सहयोगी, जुगियाल (पठानकोट) : नवरात्र पर्व पर शाहपुर कंडी के अद्वैतस्वरूप हीरा परम श्रद्धा धाम आ
संवाद सहयोगी, जुगियाल (पठानकोट) : नवरात्र पर्व पर शाहपुर कंडी के अद्वैतस्वरूप हीरा परम श्रद्धा धाम आश्रम में दिव्य मां वैष्णो देवी मंदिर में दर्शनीय मां वैष्णो, मां लक्ष्मी व मां काली जी की पिंडियों की प्राण प्रतिष्ठा एवं स्थापना वीरवार को परम पूज्य अनन्त श्री विभूषित सिद्ध पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्रद्धा नन्द पूरी जी महाराज एवं पंजाब सरकार के डिप्टी स्पीकर दिनेश सिंह बब्बू ने किया। यह जानकारी श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री स्वामी श्रद्धा नन्द जी के परम शिष्य स्वामी दिव्या नन्द पुरी जी महाराज ने दी। इस मौके पर दिव्या नन्द जी महाराज जी ने बताया कि 25 सितंबर से भागवताचार्य द्वारा श्रीमद्भागवत कथा महापुराण का एक सप्ताह से ज्ञान यज्ञ करवाया गया, जिसमें 25 सितंबर को ही कलश यात्रा का आयोजन कर कथा को आरंभ किया गया। इसमें नारद चरित्र, कुंती भीम स्तुति, परीक्षित प्रकरण, बलि प्रकरण, बाललीला, छप्पन भोग, मथुरा गमन, भगवान के विवाहों की गाथा एवं सुदामा चरित्र को बहुत ही अच्छे और सटीक भाव से प्रस्तुत किया गया।
इस मौके पर भागवताचार्य श्री श्री 1008 आचार्य जय राम जी महाराज ने बड़े ही सरल व स्टीट भाव से श्री भागवत कथा का महत्व बताया। उन्होंने बताया कि भगवान 24 अवतार हुए हैं, जिसमें से 23 अवतार वापस बैकुंठ धाम को लोट गए। मात्र एक अवतार श्रीमद्भागवत के रूप में आज भी विराजमान हैं। आज के कलयुग में मात्र भागवत द्वारा ही मानव जीवन का कल्याण संभव है। उन्होंने बताया कि ईश्वर के रूप में भागवत ह्रदय में इतना उल्लास भर देता है कि वह छलके के बिना नही रह पाता। वह आंखों मे पानी ला देता है और जिसे भागवत से प्रेम हो वह बिना इस आनंद को बांटे नही रह सकता। भगवान की लीला के विषय में दो आदेश हैं। प्रथम लीलाओं को सदा दृष्टि पक्ष में रखना और द्वितीय भागवत कथा का सुनना और सुनाना। प्रभु की सारी लीलाएं मानवता की मुक्ति के लिए होती हैं। वहीं प्रेम का सागर मां राधा और भगवान कृष्ण में था। मां राधा और भगवान कृष्ण एक रूप थे। अंत प्रेमी अपने प्रेम पात्र के चारों और चक्कर लगाया करता है। उन्होने बताया कि भागवत के नाम का उच्चारण परिपूर्ण है। भागवत एक आनंद ,प्रेम ब्रम्हा का स्वरूप है। इस मौके पर डिप्टी स्पीकर दिनेश सिंह बब्बू ने आश्रम के लिए अपने कोष से हर वो कार्य जिस की आश्रम मे जरूरत होगी, उसे पूरा करने का आश्वासन दिया।