कागजों में रोडवेज 85, हकीकत में सिर्फ 20 बसें
विनोद कुमार, पठानकोट पठानकोट-अमृतसर रूट पर कागजों में तो रोडवेज की रोजाना लगभग 87 बसें दौड़ रही है
विनोद कुमार, पठानकोट
पठानकोट-अमृतसर रूट पर कागजों में तो रोडवेज की रोजाना लगभग 87 बसें दौड़ रही हैं, जबकि हकीकत इसके कोसों दूर है। पंजाब रोडवेज बड़ी मुश्किल से 15-20 बसे ही चला पा रहा है जिसका सीधे तौर पर प्राइवेट बस ऑपरेटर लाभ उठा रहे हैं। सरकारी बस सेवा के मुकाबले अमृतसर रूट पर रोजाना 200 से ज्यादा प्राइवेट बसें चलती हैं। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को न हो सबकुछ जानते हुए भी विभागीय अधिकारी बस सर्विस बढ़ाने की बजाय हाथ पर हाथ धर सब तमाशा देख रहे हैं।
विभागीय सूत्र बताते हैं कि रोडवेज के पास बसों की कमी की प्राइवेट ऑपरेटरों को जानकारी है जिसका राजनीतिज्ञ लाभ उठाते हुए आपरेटर अमृतसर रूट पर बसें चला रहे हैं। जालंधर की तुलना यहां अमृतसर का रूट परमिट भी आसानी से मिल जाता है और कमाई भी उससे ज्यादा होती है। सूत्रों का कहना है कि अमृतसर रूट पर रोजाना 200 से ज्यादा प्राइवेट बसें चलती हैं। अगर घाटे का सौदा हो तो प्राइवेट बस ऑपरेटर मालिक कैसे काम चला रहे हैं। रूट कमाई वाला है लिहाजा, रोडवेज को अपने बंद पड़े रूटों को फिर से बहाल करना चाहिए। इससे यहां दैनिक यात्रियों को लाभ मिलेगा, वहीं विभाग की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
रोडवेज के टाइम टेबल के मुताबिक पठानकोट डिपो सहित बटाला, पट्टी, अमृतसर-मोगा व मुक्तसर डिपो सहित पठानकोट से अमृतसर के लिए रोजाना 87 टाइमिंग हैं, लेकिन, इनमें से रोजाना 20 बसें ही चल पा रही हैं। इसमें पठानकोट डिपो 12, अमृतसर, पट्टी , मुक्तसर व बटाला डिपो की तकरीबन 6-7 बसें ही रोजाना चल पा रही हैं। दूसरे शब्दों में यह कहना गलत नहीं होगा कि पठानकोट-अमृतसर रूट पर प्राइवेट बस आपरेटरों का बोलबाला तो कुछ गलत नहीं होगा।
पठानकोट से रोजाना बटाला, गुरदासपुर व अमृतसर सफर करने वाले दैनिक यात्रियों गृहिणी शुशीला, गुरमीत, आशा रानी, परमजीत काला, कमलेश कुमारी आदि ने बताया कि उन्होंने मासिक पास बनवा रखा है, लेकिन सुबह के वक्त केवल एक ही सरकारी बस आती है, जो काउंटर पर लगते ही भर जाती है। उन्हें अकसर खड़े होकर सफर करना पड़ता है। अगर पांच मिनट लेट हो जाएं तो फिर प्राइवेट बस में पूरा किराया खर्च करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पठानकोट बस स्टैंड पर रोजाना पास होल्डर स्कूली विद्यार्थियों के अलावा विभिन्न विभागों में तैनात कर्मियों को सरकारी बस सेवा कम होने के कारण प्राइवेट में ही सफर करना पड़ता है।
उधर, इस संदर्भ में जब विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एसएस मान से संपर्क करना चाहा लेकिन, वह दिन भर मीटिंग में व्यस्त रहे। जीएम पठानकोट डिपो इंद्रजीत सिंह चावला ने कहा कि इस मसले पर वह कार्यालय में आकर ही कुछ कहेंगे।