गोपी ने बिना ऑक्सीजन दिलाई प्रशासन को 'जीत'
राज चौधरी, पठानकोट
शहर के मोहल्ला गांधी नगर में रविवार सुबह कुएं की खराब मोटर की रिपेयर करने आए दो प्लंबर स्लैब टूटने से कुएं में गिर गए। हालांकि इनमें से एक की मौत हो गई, लेकिन जिला प्रशासन के लिए खास ऑपरेशन बनी लाश को निकालने की कोशिश को सवा 9 घंटे बाद पास के मोहल्ले अमरूदां वाली झुग्गियां का बहादुर लड़का राकेश कुमार उर्फ गोपी बिना ऑक्सीजन सक्सेस बनाने में सक्सेस रहा।
रविवार सुबह 10 बजे की बात है। मोहल्ला गांधी नगर में रहने वाले प्लंबर हरबंस लाल अपने बेटे कमल व एक अन्य मजदूर युवक नीरज के साथ ढाई दशक पहले खोदे गए 30 फुट गहरे कुएं की खराब मोटर को खोल रहे थे। अचानक स्लैब टूटने से प्लंबर हरबंस लाल व नीरज कुएं में गिर गए। पहले दोनों खुद को बचाने के लिए तैरने लगे। नीरज के सिर पर चोटें आई हुई थी। हरबंस ने अपने बेटे कमल व अन्य लोगों को आवाज लगाई, 'मैं बिलकुल ठीक हूं। जल्दी से नीरज को अस्पताल दिखाओ।' प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हरबंस लाल ने पाइप के सहारे नीरज को बाहर निकालने के लिए मदद भी की। नीरज के बाहर निकलते ही शहरवासी उसे एक प्राइवेट अस्पातल ले गए। सिर पर दो टांके लगाए जाने के बाद डॉक्टर ने उसे छुट्टी दे दी। अब हरबंस लाल को निकाले जाने की कोशिश में कुएं के ऊपर की स्लैब का बचा-खुचा हिस्सा भी टूटकर उसके सिर पर लगा। इसी स्लैब के नीचे दबता हुआ कुएं में समा गया। पता चला है कि हरबंस लाल को पिछले कुछ सयम से कुत्ते ने काट खाया था व आज काफी दिनों के बाद ही वह काम पर आया था।
पूर्व पार्षद व मोहल्लावासी बोले, वक्त पर नहीं मिला प्रशासन का साथ
घटना के बाद लोगों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा देखने को मिला। बताया जाता है कि नगर निगम की जेटिंग-मशीन की मदद से कुएं से गारा निकाली गई। पानी कम न हुआ तो बाद में सेना की 6 इंजीनियर रेजीमेंट सुजानपुर, सेना की ओटीजी व 18 एफएडी को बुलाया गया। करीब 1 बजे दोपहर सेना की इन टीमों ने भी अपनी-अपनी तरह से प्रयास शुरू किए। लगातार पानी निकाले जाने के बाद भी पानी कुएं से कम न हुआ। शाम पांच बजे जिला प्रशासन ने आरएसडी बांध पर चल रहे निर्माण कार्य से किसी हैवी मशीन को बुलाए जाने की बात हुई। तीन से चार बार शहर के युवकों व सेना ने कुएं में जाकर हरबंस लाल को निकालने की कोशिश की, पर नीचे पांव न लगने व ऑक्सीजन न होने के कारण आखिर इन्हें बाहर लौटना पड़ा।
दूसरी तरफ घटनास्थल पर खड़े पूर्व पार्षद धनवंत बाजवा व मोहल्ले के अन्य लोगों ने प्रशासन के ढीले रवैये कहा कि दस बजे हादसे के तुरंत बाद पुलिस, नगर निगम व प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी गई थी। कुछ समय बाद फायरबिग्रेड घटनास्थल पर पहुंच गई। बचाव की कोशिश नाकाम रही तो फिर अन्य वैकल्पिक प्रबंधों के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को कई फोन किए गए। समय पर सार्थक प्रबंध नहीं किए जाने के कारण ही हरबंस लाल की मौत हो गई और लाश को निकालने में इतना समय लग गया।
पूरे जिले में एक भी गोताखोर नहीं
हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने प्लंबर हरबंस लाल को निकालने के मामले में अपनी-अपनी हाजिरी लगा इतश्री कर ली, पर देर शाम तक भी कोई गोताखोर न होने के कारण हरबंस लाल को ढूंढा नहीं जा सका। यह कोई पहला ऐसा हादसा नहीं है। इससे पहले भी जब कभी यूबीडीसी नहर व आरएसडी झील में ऐसे हादसे होते रहे हैं तो जिला प्रशासन लाश के खुद-ब-खुद ऊपर आने का इंतजार करता रहता है। ऐसा करना प्रशासन की मजबूरी भी है चूंकि जिला प्रशासन के पास एक भी ऐसा गोताखोर नहीं है। बाद में शहर के अमरूदां वाली झुग्गियां के युवक राकेश कुमार उर्फ गोपी ने प्रशासन की नाक बचाई।
विधायक अश्विनी शर्मा व जिला प्रशासनिक अधिकारी मौके पर
हादसे के कुछ ही समय बाद विधायक पठानकोट अश्विनी शर्मा घटनास्थल पर पहुंच गए। एसडीएम डाक्टर अमित महाजन, तहसीलदार यशपाल शर्मा, मंडल प्रधान अनिल रामपाल, डीएसपी मनोज ठाकुर, एसएचओ थाना डिवीजन नम्बर-1 विपिन कुमार व अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी घटनास्थल पर घंटों खड़े रहे।
कुएं की खराब पाइप का जिम्मा हमारा नहीं: एमई सतीश सैनी
नगर निगम पठानकोट के एमई सतीश सैनी से कुएं की खराब मोटर की रिपेयर करवाने की बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह कुआं नगर निगम के अधीन नहीं आता। किसी समय में इसे किसी ने प्राइवेट तौर पर खुदवाया था, इसीलिए नगर निगम का नहीं इसे इस्तेमाल करने वाले लोगों का ही जिम्मा बनता है।
26 साल पहले इस कुएं का हुआ था निर्माण
कुएं पर लगे नींवपत्थर से पता चलता है कि इस कुएं का निर्माण 20 जुलाई 1988 को स्वर्गीय भीमसेन अग्रवाल की याद में उनके परिजनों ने करवाया था। पहले मोहल्ले के लोग इसे पीने के पानी के लिए इस्तेमाल करते थे, बाद में नगर कौंसिल ने क्षेत्र में पेयजल की पाइपें बिछा दी तो कुएं का उपयोग धीरे-धीरे बंद हो गया। इसके ऊपर स्लैब डाल दी गई। अब इसमें से सिर्फ दर्जनभर लोग ही पहले से डाले गए कनेक्शनों के माध्यम से ही पानी लेते थे। यहां काम करने वालों ने गल चुकी स्लैबों की तरफ ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया।
गोपी को किया जाएगा सम्मानित: एसडीएम
एसडीएम डॉ. अमित महाजन से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हरबंस लाल को निकालने के लिए प्रशासन व सेना ने पूरी मुस्तैदी से कोशिश की। गांव बहरामपुर मराड़ां से एक गोताखोर को बुलाया गया था। काफी कोशिशों के बाद पानी खत्म ही नहीं रहा था तो व्यापारी रमेश कुमार के कहने पर रामा इंजीनियरिंग वर्क्स की तरफ से मालिक दो सबमर्सिबल पंप लगाकर कुएं को खाली किया गया। अब गोताखोर ने कुएं में उतरने के लिए ऑक्सीजन की मांग की तो मोहल्ले के राकेश कुमार उर्फ गोपी ने बिना ऐसी किसी मांग के कुएं में उतरकर हरबंस लाल की लाश को निकाला। एसडीएम ने बताया कि इस संबंध में डीसी डॉ. सुखविंदर सिंह से बात हो गई है। जल्द ही होनहार युवक गोपी को सम्मानित किया जाएगा।