भागवत पुराण में सभी वेदों का ज्ञान समाहित : शास्त्री
संवाद सहयोगी, पठानकोट : रामलीला ग्राउंड में मंगलवार को ब्रज रस रसिक मंडल पठानकोट की ओर से करवाए जा रहे श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन रविनंदन शास्त्री वृंदावन वालों ने भक्तों को ज्ञान का रस बांटा।
उन्होंने बताया कि भक्ति वृंदावन में प्रवेश करते ही पूरी तरह से जवान हो गई, लेकिन उनके पुत्र ज्ञान व वैराग्य बूढ़े ही रहे। इस पर भक्ति ने नारद जी से कहा कि इनको कैसे जवान किया जाए। नारद जी द्वारा कोशिश करने के बाद भी जब ज्ञान व वैराग्य अपने यौवन पर नहीं आए, तो उन्हे भागवत पुराण का पाठ सुनाया गया। भागवत के तीसरे-चौथे दिन ही ज्ञान व वैराग्य ने अपनी नींद से उठकर झूमने लगे। शास्त्री जी ने बताया कि अर्थात् निष्काम भाव से पूजा करने पर हमारे मन में भक्ति, ज्ञान व वैराग्य हमेशा वास करते है। उन्होंने बताया कि जब राजा परीक्षित श्रीमद्भागवत कथा सुनने बैठे तो देवता उनके लिए अमृत लेकर आए, लेकिन उन्होंने अमृत का त्याग कर श्रीमद्भागवत कथा को प्राथमिकता दी। तब सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुचे व उन्हे यह किस्सा सुनाया। तब ब्रह्मा जी ने तराजू में एक तरफ भागवत पुराण को रखा और दूसरी तरफ सभी वेद व अमृत को लेकिन भागवत पुराण का पलड़ा भारी रहा। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि भागवत पुराण सुनना या सुनाना सभी वेदों से उत्तम है, क्योंकि सभी वेदों का ज्ञान श्रीमद्भागवत कथा में ही मिलता है।