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गिरते भूजल को लेकर गंभीर नहीं कृषि विभाग

संवाद सूत्र, फिरोजपुर धान की बिजाई से लेकर फसल के पकने तक गिरने वाले भूजल को लेकर सर

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 03:01 AM (IST)
गिरते भूजल को लेकर गंभीर नहीं कृषि विभाग
गिरते भूजल को लेकर गंभीर नहीं कृषि विभाग

संवाद सूत्र, फिरोजपुर

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धान की बिजाई से लेकर फसल के पकने तक गिरने वाले भूजल को लेकर सरकार भले ही ¨चतित हो, लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी इस मामले में गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं। आलम यह है कि ऑफिस में बैठे खानापूर्ति करने वाले अधिकारी किसानों के धान की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित नहीं कर रहे। स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गत वर्ष की भांति इस बार भी विभागीय अधिकारी धान की सीधी बिजाई का रकबा नहीं बढ़ा सके और जहां बीते साल 500 हेक्टेयर सीधी बिजाई का रकबा निर्धारित किया था, इस बार उसे बढ़ाने में नाकाम रहे, क्योंकि इस बार भी 500 हेक्टेयर रकबा ही रखा गया है।

जागरुकता के अभाव से नहीं सफल हो रही योजना:किसान

इस मामले में किसानों का कहना है कि उन्हें विभाग की तरफ से सीधी बिजाई के लिए जागरूक नहीं किया जा रहा। कुछ किसानों ने तो यह भी कहा कि जहां कहीं भी विभाग की तरफ से धान की सीधी बिजाई करवाई गई है उन्हें फसल की किस तरह संभाल करनी है और कैसे पानी लगाना है, के बारे में जानकारी मुहैया नहीं करवाई जाती, जिस कारण वे धान की सीधी बिजाई करने के गुरेज करते हैं।

उन्होंने कहा कि अब कुछ दिनों के भीतर धान की बिजाई शुरू हो जाएगी और विभाग की लापरवाही के चलते किसान फिर से वहीं पुराने बिजाई का तरीका ही अपनाएंगे। किसानों के कहा कि बिजाई करने वाले किसान इस बात को भूल रहे हैं कि उनकी यहीं मनमानी आने वाले समय में भूजल संकट का कारण बन सकती है।

किसान नहीं छोड़ना चाहते पुराना तरीका

जिला मुख्य कृषि अफसर डॉ. स¨तदर कौर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसानों को बीते साल भी सीधे धान की बिजाई के लिए प्रेरित किया गया था, लेकिन उनकी समझ से योजना बाहर दिखी। इस बार भी किसान इस योजना को अपनाना नहीं चाह रहे हैं। यहीं कारण है कि इस बार भी निर्धारित लक्ष्य गत वर्ष जितना पांच सौ हेक्टेयर है। उन्होंने कहा कि सीधी बिजाई को लेकर दो साल पहले किसानों को सब्सिडी देने की योजना शुरू हुई थी, लेकिन किसी कारण उसे रद्द कर दिया गया।

सूत्रों की माने तो धान की बिजाई के दौरान ही भूजल गिरने की संभावना ज्यादा रहती है। अगर विभाग इस संकट को गंभीरता से लेता है तो आने वाले समय में भूजल गिरने की संभावना कम हो सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं नजर आ रहा है। किसान अपने समय की बचत व पुराने तरीके को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। यहीं कारण है कि इस बार फिर से भूजल गिरेगा। हालांकि हर साल दो फिट भूजल गिरने की जानकारी सामने आ रही है और अगर ऐसा ही सिलसिला चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी के लिए भूजल संकट की समस्या गंभीर हो सकती है।


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