Move to Jagran APP

अधर मेंडीएफएमडी का प्रोजेक्ट

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर रेलवे स्टेशनों के डीएफएमडी के जरिए आज तक एक भी आतंकी या अपराधी नहीं पकड़

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 03:01 AM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 03:01 AM (IST)
अधर मेंडीएफएमडी का प्रोजेक्ट
अधर मेंडीएफएमडी का प्रोजेक्ट

जागरण संवाददाता, फिरोजपुर

loksabha election banner

रेलवे स्टेशनों के डीएफएमडी के जरिए आज तक एक भी आतंकी या अपराधी नहीं पकड़ा जा सका है। फाइव लेयर सिक्योरिटी सिस्टम पर आधारित इस डीएफएमडी प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाले गए। एक भी भारतीय कंपनी मानक पर खरी नहीं उतरी तो रेलवे ने प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में डाल दिया और बेकार साबित हो चुके डीएफएमडी (डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर) के भरोसे ही रेलवे स्टेशनों व यात्रियों की सुरक्षा की जा रही है।

छह साल पहले रेल मंत्रालय ने प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर फाइव लेयर यात्री व स्टेशनों की सुरक्षा का प्लान तैयार किया था। देशभर के रेलवे स्टेशनों पर लगे डीएफएमडी क्यों कारगार साबित नहीं हो पा रहे हैं, इसका जवाब पांच साल पहले जब रेलवे ने खोजा तो आइआइटी दिल्ली से स्टेशनों व यात्रियों की सुरक्षा को लेकर आइएसआइएस नामक प्रोजेक्ट तैयार करवाया गया। इसे लेकर आइआइटी दिल्ली को प्रोजेक्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। आइआइटी दिल्ली ने आइएसआइएस (इंट्रागेटेड सिक्योरिटी इंटरनल सिस्टम) नामक प्रोजेक्ट तैयार करके रेल मंत्रालय को सौंपा था। उस प्रोजेक्ट पर रेलवे ने अपने सुरक्षा एक्सपर्ट की राय भी ली थी। इसके लागू होने के बाद रेलवे स्टेशनों के अंदर विस्फोटक सामग्री, असलहे व ड्रग्स को लेकर प्रवेश संभव नहीं हो पाता। प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए ग्लोबल टेंडर भी निकाला गया था। टेंडर में भाग लेने वाली भारतीय कंपनियों में एक भी कंपनी ऐसी नहीं निकली जो प्रोजेक्ट के तहत पूरे सुरक्षा उपकरणों की सप्लाई रेलवे को कर सके। इसके बाद रेलवे ने कंपनियों से बात भी की थी, लेकिन कंप्लीट सुरक्षा प्रोजेक्टट पर काम करने में एक भीकंपनी की महारत न मिलने के चलते प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

फिरोजपुर रेल मंडल आरपीएफ के वारिष्ठ कहते हैं हम अभी भी डीएफएमडी (डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर) के भरोसे है, परंतु यह कारगर नहीं है। देश भर के रेलवे स्टेशनों पर रखे गए डीएफएमडी सफेद हाथी ही है। बताया जा रहा है कि रेलवे स्टेशनों पर लगे डीएफएमडी या तो बंद पड़े हैं या फिर जवानों की ट्रे¨नग नहीं है कि वे उसके जरिए किसी अपराधी को पकड़ सकें। टीं, टीं की आवाज तो बेल्ट से भी आ जाती है। जवानों को पता ही नहीं है कि बीप और कितनी तेज लाइट जली तो क्या सामग्री यात्री के पास हो सकती है। इसलिए वो अपराधियों को पकड़ नहीं पाते हैं। उनकी कोशिश होती है कि केवल डिटेक्टर के अंदर से यात्रियों को जाने दें, यहीं उनकी उनकी ड्यूटी है।

डीएफएमडी एक बार चार्ज करने पर केवल सात से आठ घंटे काम करता है। फिरोजपुर रेल मंडल में अटारी, जम्मू, जालंधर, लुधियाना व पठानकोट रेलवे स्टेशनों पर डीएफएमडी लगे हैं। पंजाब, हिमाचल व जेएंडके के 262 रेलवे स्टेशनों में से केवल 5 स्टेशनों पर यह सुविधा है, वो भी बेकार साबित हो रहे हैं। आइआइटी के प्रोजेक्ट में बम डिस्पोजल स्क्वायड, व्हीकल स्कैनर, बैगेज स्कैनर, सीसीटीवी, सेंट्रलाइल कंट्रोल रूम कम्यूनिकेशन सिस्टम शामिल हैं। डीआरएम विवेक कुमार कहते हैं कि रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस दिशा में गंभीरता दिखाई है, जिसके तहत स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।

यह यंत्र होंगे तो स्टेशनों पर होगी सुरक्षा-

आरपीएफ अधिकारी मानते हैं कि जिस दिन स्टेशनों पर वीडीएफ, व्हीकल स्कैनर, बैगेज स्कैनर व सीसीटीवी कैमरे तथा सेंट्रलाइज कंट्रोल रूम की सुविधा मिल जाएगी उस दिन के बाद रेलवे स्टेशनों के अंदर सुरक्षा को लेकर हम राम भरोसे नहीं रहेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.