पुलिसिया अत्याचार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
शिक्षा सूत्र, फाजिल्का
पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ क्रांतिकारी किसान यूनियन ने सोमवार को डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय के समक्ष विशाल रोष रैली कर धरना दिया। धरने के दौरान करीब चार हजार प्रदर्शनकारियों ने सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों में क्रांतिकारी किसान यूनियन से संबंधित 17 यूनियनों के मुक्तसर, फिरोजपुर, मोगा, बठिंडा व फाजिल्का जिलों के कार्यकर्ता शामिल थे।
ऐसा रोष प्रदर्शन सोमवार को फाजिल्का के अलावा पटियाला व अमृतसर में भी किसान यूनियन की ओर से किया गया। खेत मजदूर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष जोरा सिंह ने बताया कि प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य गांव निहालखेड़ा में दो जुलाई को हुए पुलिसिया अत्याचार के साथ-साथ किसानों की समस्याओं बारे सरकार को चेताना था।
आंदोलनकारी बार-बार यह नारे लगा रहे थे कि बच्चा बच्चा झोंक देंगे, जमीनों पर कब्जा रोक देंगे। प्रदर्शनकारियों ने ग्रामीणों पर अत्याचार करने के आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की।
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क्या है निहालखेड़ा का मामला?
फाजिल्का: गांव के एक जमींदार द्वारा पहले चार एकड़ जमीन अपने मुजाहरों (काश्तकारों) को दे दी थी। लेकिन दो जुलाई को उक्त जमींदार ने पुलिस से मिलीभगत कर उस जमीन पर पुन: कब्जा कर लिया। इसका विरोध करने पर ग्रामीणों की पुलिस के साथ हुई झड़प में बालकृष्ण व रामगोपाल घायल हो गए थे। बालकृष्ण व रामगोपाल को पुलिस पकड़कर ले जाने लगी थी तब ग्रामीणों ने बालकृष्ण को छुड़वा लिया था। पुलिस ने आरोप लगाया था कि ग्रामीणों ने उनके एक एएसआई को बंधक बना लिया था, जिसे बाद में छुड़वाया गया। पुलिस ने निहालखेड़ा के अलावा चूहड़ीवाला धन्ना, पतरेवाला व आसपास के कुछ गांवों के 63 लोगों को पुलिस पर हमले के आरोप में नामजद किया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि पुलिस द्वारा की गई पिटाई के शिकार लोगों में निहालखेड़ा निवासी भाई बहन भी शामिल थे, जिन्हें नंगा कर थाने में पीटा गया। प्रांतीय अध्यक्ष जोरा सिंह ने उक्त जमींदार को फाजिल्का के विधायक एवं मंत्री सुरजीत ज्याणी खास आदमी होने का आरोप लगाया और कहा कि विधायक की शह पर ही पुलिस ने ग्रामीणों पर अत्याचार किए।
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