'दूध का बनता मूल्य नहीं चुका रही कंपनियां'
मुख्य संवाददाता, फिरोजपुर : दूध के दाम बढ़ने के बावजूद दोधियों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। क्योंकि इस लाभ में से एक बड़ा हिस्सा दूध से खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों के हिस्से में जा रहा है। दोधियों से ये कंपनियां औने-पौने दाम पर ही दूध ले रही हैं। जिससे इस कारोबार से जुड़े लोगों को नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। इसके विरोध में दोधिया एसोसिएशन ने आरपार की लड़ाई का मन बनाया है।
दूध उत्पादन में हो रहे घाटे के कारण किसानों ने पशु रखना कम कर दिया है। इसका प्रमुख कारण यह है कि एक तरफ पशुओं पर लगातार खर्च बढ़ता जा रहा है और दूसरी तरफ दूध की कीमत लगातार कम होती जा रही है। वहीं प्राइवेट ठेकेदार दूध के पर्याप्त दाम देने को तैयार नहीं हैं। दोधी यूनियन के जिला प्रधान प्रमोद शर्मा का कहना है कि बड़ी फैक्ट्रियों ने पूल कर रखा है कि वे 25 रुपये से ज्यादा दाम पर दूध नहीं खरीदेंगे। वर्तमान में छह फैट का दूध 25 रुपये बीस पैसे में दिया जा रहा है। जबकि कंपनियां दूध से बने सामान को भारी मुनाफे में बेच रही हैं। स्थिति यह है कि सूखे दूध का डिब्बा ढाई सौ रुपये तक बाजार में बेचा जा रहा है। कंपनियों का कहना है कि उनका माल एक्सपोर्ट नहीं हो रहा है इसलिए वे ज्यादा दाम नहीं दे सकते। उनका काम है कि यदि दूध के दाम न बढ़े तो वे अपना कारोबार कैसे करेंगे? कुछ दिन पहले फिरोजपुर के दोधी यूनियन ने हड़ताल भी की थी। लेकिन हालात में बहुत सुधार नहीं हुआ। शीघ्र ही वे दोधियों की एक बैठक बुलाकर रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि 21 को राष्ट्रीय स्तर पर हड़ताल की काल तो की गई है, लेकिन अभी तक उनके पास कोई संदेश नहीं आया है। जब तक कोई संदेश नहीं आता हड़ताल नहीं की जाएगी।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर