संशोधित : कितना बदल गया चुनाव--
फोटो-2 पहले मतदान से पहले करते थे चर्चा मैंने अपने जीवन में कई बार कौंसिल चुनाव, संसदीय
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पहले मतदान से पहले करते थे चर्चा
मैंने अपने जीवन में कई बार कौंसिल चुनाव, संसदीय चुनाव व विधानसभा चुनावों में मतदान किया है। हमारे समय में लोगों में मतदान करने की उत्सुकता होती थी, जो अब धीमी पड़ती जा रही है। मुझे ठीक से याद है कि सभी वोटर चुनाव से पहले एक दूसरे से विचार करते थे कि इस बार किस प्रत्याशी को वोट देना है। लोगों से होने वाली बातचीत ही तय कर देती थी कि कौन सी पार्टी का प्रत्याशी जीत हासिल करने की दौड़ में आगे है। आज देख रहा हूं कि वोटर अपने मनचाहे प्रत्याशी के बारे में किसी से बात करने को तैयार नहीं है और कई बार तो वह जिस प्रत्याशी के साथ उठता बैठता है उसको वोट देने के बजाए किसी अन्य को ही अपना वोट दे आता है। चुनाव के दौरान लालच का बोलबाला हमारे समय की तुलना में बढ़ चुका है, जो लोकतंत्र के मुख्य आधार पर खोखला कर रहा है।
- वर्षीय अनिल अरोड़ा।