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सोते समय सांस फूले तो हो जाएं सावधान, चंडीगढ़ में डॉक्टरोंं ने बताया कैसे पहचानेंं हार्ट फेल का खतरा

सर्दियों में सेहत का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। बुर्जुगों को तो इस दौरान खास ख्याल रखना होगा। अगर आपकी भी सोते समय सांस फूलती है तो यह हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है इसलिए हार्ट फेल्योर के खतरे को पहचानना जरूरी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 02:09 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 02:18 PM (IST)
सर्दियों में रहें सावधान, सांस फूलने पर हो सकता है हार्ट फेल्योर का खतरा। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [विशाल पाठक]। सर्दियां आते ही हार्ट फेल होने के मामले भी बढ़ने लगे हैं। इन मामलों में अधिकतर मरीज़ बुजुर्ग हैं, लेकिन युवाओं में भी हार्ट फेल होने के मामले अब आमतौर पर सामने आने लगे हैं। चिंता का विषय यह है कि हार्ट फेल होने के बारे में और इसके लक्षणों के बारे में लोगों में जागरूकता का स्तर बेहद नीचे है।

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प्रख्यात कार्डियोलाजिस्ट डॉक्टर एचके बाली ने बताया अगर किसी व्यक्ति को सोते समय सांस फूलने की दिक्कत हो तो ऐसे व्यक्ति का हार्ट फेलियर हो सकता है। देश में हार्ट फेलियर से मरने वालों की तादाद बढ़ रही है। यह इसलिए भी हो रहा है कि आमतौर पर लोगों को हार्ट फेल होने और हार्ट अटैक में अंतर नहीं पता। लोगों में हार्ट फेल होने के लक्षणों के प्रति जानकारी नहीं है।

डॉक्टर बाली ने हार्ट फेलियर से बचाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक विशेष 'हार्ट फेलियर क्लिनिक' की शुरुआत की है। बताया कि हार्ट फेलियर एक मेडिकल स्थिति है जहां हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और शरीर को कुशलता से रक्त पंप नहीं कर पाती।  उन्होंने कहा कि इस समय देश में हार्ट फेलियर के लगभग 10 मिलियन मरीज़ हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि देश में हार्ट फेल का डायग्नोज होने के एक साल के भीतर लगभग 23% मरीज़ों की मृत्यु हो जाती है। यह मृत्यु दर प्रतिशत दुनिया भर में हार्ट फेलियर के रोगियों की तुलना से बहुत अधिक है।

हार्ट फेलियर के मुख्य कारण

हार्ट फ़ेल्यर के मुख्य कारणों में अक्सर कोरोनरी आर्टरी रोग, हार्ट वाल्व ख़राब होने, हृदय की मांसपेशियों का कठोर हो जाना, जन्मजात बीमारी, गठिया, हाई ब्लड प्रेशर और इन्फ़ेक्शन आदि शामिल है।

हार्ट फेलियर के लक्षण

हार्ट फेल होने के सामान्य लक्षण सांस फूलना, सांस की कमी और लगातार थकान बने रहना हैं। इसके अलावा दिल की अनियमित धड़कन पैरों में सूजन, लगातार खांसी, भूख की कमी और शरीर में फल्यूड रिटेंशन हो जाना भी आम लक्षण हैं।

50 फीसद से कम रोगियों मिलता है एक्सक्लूसिव ट्रीटमेंट

डॉ. बाली के मुताबिक हार्ट फेलियर में विशेष और समुचित इलाज के लिए डेडिकेटेड हार्ट फ़ेल्यर क्लीनिक पश्चिमी देशों में सामान्य हैं, लेकिन अपने देश में इसकी कमी है। भारत में हार्ट फ़ेल्यर के 50% से कम रोगियों को एक्सक्लूूसिव ट्रीटमेंट मिल पाता है।

हार्ट फेलियर बुजुर्गों में महामारी के रूप में बढ़ रही

इस मौक़े पर अनुराग शर्मा ने कहा कि हार्ट फेलियर एक जटिल सिंड्रोम है, जहां दिल शरीर की पोषण और आक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यह दुनियाभर में लगभग 26 मिलियन लोगों को प्रभावित कर चुकी है और हार्ट फ़ेल्यर बुजुर्गों में महामारी के रूप में बढ़ रही है। बुजुर्ग आबादी विशेष रूप से इसके ख़तरे में है। समय पर बीमारी का पता लगाने और एक्सक्लूूसिव ट्रीटमेंट हार्ट फ़ेल्यर से होने वाली से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।

वहीं, डॉक्टर कपिल चटर्जी ने कहा कि आम जनता में गलत धारणा है कि हार्ट अटैक, कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट फेल्योर एक ही है। ये अलग-अलग बीमारियां हैं। डॉक्टर गगनदीप सिंह ने बताया कि हार्ट फेलियर के लक्षणों, एसेसमेंट और इलाज के बारे में जागरूकता इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए ज़रूरी है।


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