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पंजाब के वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता बीर दविंदर पार्टी से निष्‍कासित

पंजाब के वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता बीर दबिंदर सिंह काे पार्टी से निष्‍कासित कर दिया गया है। वह प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ लगातार बयानबाजी कर रहे थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 08 Apr 2016 09:11 PM (IST)Updated: Sat, 09 Apr 2016 10:49 AM (IST)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिह के खिलाफ बयानबाजी करने पर वरिष्ठ नेता बीर दविंदर सिंह को महंगी पड़ गई। उन्हें शुक्रवार को छह साल के लिए कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया है। वह विधानसभा के डिप्टी स्पीकर भी रह चुके हैं। वह लगातार कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। उनके खिलाफ कारवाई इस मामले में गठित तीन सदस्यीय कमेटी की सिफारिश पर किया गया है।

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इससे पहले उन्हें 31 मार्च को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था। उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय दिया गया था। इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया था। वीरवार तक न तो बीर दविंदर कमेटी के सामने पेश हुए और न ही उन्होंने जवाब दिया।

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इस पर कमेटी के चेयरमैन सुखजिंदर रंधावा ने उनको पार्टी के अनुशासन को तोडऩे का दोषी पाते हुए उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। बर्खास्तगी के साथ ही कैप्टन ने समूचे कांग्रेस को भी यह संदेश देने की कोशिश की है कि अनुशासनहीनता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बीर दविंदर ने बर्खास्तगी पर किसी तरह की प्रतिक्रिया से फिलहाल इनकार करते हुए कहा कि जल्द ही मीडिया से मुखातिब होंगे।

जगमीत बराड़ पर भी लटकी है बर्खास्तगी की तलवार

इस कार्रवाई के बाद पूर्व सांसद जगमीत बराड़ पर भी कांग्रेस से बर्खस्तगी की तलवार लटक गई है। कैप्टन पहले ही जगमीत बराड़ को बर्खास्त करने की सिफारिश पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से कर चुके हैं। चूंकि जगमीत बराड़ आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य हैं, इसलिए प्रदेश प्रधान के पास उन्हें हटाने का अधिकार नहीं हैं। इस बारे मे पार्टी आलाकमान ही फैसला करेगा।

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क्या है मामला
बीर दविंदर पार्टी अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह पर पर सीधा हमला बोल रहे थे। इसके कारण कैप्टन ने 31 मार्च को उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था और आगे के मामले देखने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। उन्हें 7 अप्रैल तक अपना पक्ष रखने का समय दिया गया था। लेकिन वह न तो कमेटी के समक्ष पेश हुए और न ही उन्होंने कोई जवाब भेजा।

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मार्च 2014 में कांग्रेस में दोबारा शामिल हुए थे

1977 में आजाद प्रत्याश्ाी के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ कर राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले बीर दविंदर पहली बार 1980 में कांग्रेस के टिकट पर जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 2002 में वह दूसरी बार चुनाव जीते और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर बने। 2007 में कांग्रेस से टिकट कटने के बाद वह अकाली दल में शामिल हो गए। बाद में वह मनप्रीत बादल के पीपीपी में चले गए और 2012 में पीपीपी की टिकट पर चुनाव भी लड़े। वह मार्च 2014 में दोबारा कांग्रेस में शामिल हाे गए थे।


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