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रिश्वत मामला : सजा के खिलाफ हाईकोर्ट गए दोषी

प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (पीसीडीसीए)के पाच कर्मचारियों से जुड़े 85 हजार रुपये के रिश्वत मामले में सीबीआइ विशेष अदालत ने 30 जनवरी को दोषियों को दो वर्ष की सजा सुनाई थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Feb 2017 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 26 Feb 2017 03:00 AM (IST)
रिश्वत मामला : सजा के खिलाफ हाईकोर्ट गए दोषी
रिश्वत मामला : सजा के खिलाफ हाईकोर्ट गए दोषी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (पीसीडीसीए)के पाच कर्मचारियों से जुड़े 85 हजार रुपये के रिश्वत मामले में सीबीआइ विशेष अदालत ने 30 जनवरी को दोषियों को दो वर्ष की सजा सुनाई थी। अब इस सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। मालूम हो कि सीबीआइ अदालत ने मामले में सीनियर ऑडिटर दीन दयाल मित्तल और देवकी नंदन, सहायक अधिकारियों में बी. वेणुगोपाल, दविंद्र सिंह और सीनियर आडिटर राजकुमार को दोषी करार दिया था। सात वर्ष पुराने इस मामले में सभी दोषियों पर तीस-तीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। सीनियर ऑडिटर दीन दयाल मित्तल द्वारा हाईकोर्ट में इस सजा को चुनौती देते हुए इस सजा पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ यह मामला गलत बनाया गया है। जिला अदालत ने तथ्यों का सही ढंग से आकलन नहीं किया है।

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यह है मामला : 31 मार्च, 2010 के दायर मामले के अनुसार दोषियों पर गाजियाबाद के एक प्राइवेट ठेकेदार से 85 लाख रुपये के भुगतान के एवज में 1 फीसद कमीशन की माग की गई थी। आरोप के मुताबिक मांगी गई रिश्वत की यह रकम 85 हजार रुपये बनती थी। मामले में शिकायतकर्ता अंकुर गर्ग नामक ठेकेदार ने संबंधित विभाग को 85 लाख रुपये के कीमती खेल उपकरण मुहैया करवाए थे। इस रकम की अदायगी राशि शेष थी। आरोप के मुताबिक इसके एवज में विभाग के अधिकारियों ने रिश्वत की माग की।

इसकी शिकायत पर सीबीआइ ने ट्रैप लगाकर पहले दोषी को 31 मार्च, 2010 को रिश्वत लेते शाम करीब 6:30 बजे गिरफ्तार किया था। इसके बाद सीबीआइ ने संबंधित विभाग के सीनियर ऑडिटर दीन दयाल मित्तल और देवकी नंदन को 45 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। साथ ही सहायक अधिकारी बी. वेणुगोपल तथा दविंदर सिंह को भी काबू किया था जो टॉयलेट में छिपकर भागने की फिराक में थे। अंत में एक अन्य सीनियर ऑडिटर राजकुमार को गिरफ्तार किया गया था। सभी दोषियों पर भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा-7 तथा आपराधिक साजिश के तहत केस दर्ज किया गया था। ठेकेदार अंकुर ने वेस्टर्न कमाड के अधिकार क्षेत्र में आने वाली विभिन्न युनिट्स में खेल उपकरण उपलब्ध कराए थे।


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