अमरिंदर सिंह की टीम में होंगे कई पुराने चेहरे
कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के साथ ही अपनी टीम भी घोषित कर देंगे। संकेत मिल रहे हैं कि उनकी टीम में कई पुराने चेहरे नजर आएंगे, हालांकि पिछले तीन साल में अपनी निष्ठा बदलने वाले उनके कई करीबी इस बार टीम में नहीं होंगे।
चंडीगढ़, [हरिश्चंद्र]। कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने के साथ ही अपनी टीम भी घोषित कर देंगे। संकेत मिल रहे हैं कि उनकी टीम में कई पुराने चेहरे नजर आएंगे, हालांकि पिछले तीन साल में अपनी निष्ठा बदलने वाले उनके कई करीबी इस बार टीम में नहीं होंगे।
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सुनील जाखड़, राणा गुरजीत व कोटली को मिलेगी अहम जिम्मेदारी
अमरिंदर के करीबी सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ विधायक सुनील जाखड़ उनके थिंक टैंक में सबसे ऊपर की पायदान पर हैं। इसके अलावा, राणा गुरजीत सिंह, राणा गुरमीत सोढी, ओपी सोनी, सुख सरकारिया, तृप्त राजिंदर बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, केवल ढिल्लों, डा. राजकुमार वेरका, राणा केपी सिंह और बलबीर सिंह सिद्धू को भी इस टीम में जगह मिलने की उम्मीद है। अंबिका सोनी के करीबी कांग्रेस विधायक जगमोहन सिंह कंग और पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते गुरकीरत सिंह कोटली भी अमरिंदर की टीम में होंगे।
सिंगला, खैहरा, जस्सी व डिंपा के अमरिंदर की टीम में शामिल होने की उम्मीद नहीं
यह भी बताया जाता है कि अकाली-भाजपा को घेरने की रणनीति बनाने की जिम्मेदारी मुख्य तौर पर सुनील जाखड़, राणा गुरजीत, तृप्त बाजवा और रंधावा की होगी। ये लोग सरकार की कमियां ढूंढ-ढूंढ कर इन्हें प्रचारित करने की रणनीति बनाएंगे। विभागों में घपलों पर जाखड़ नजर रखेंगे। मीडिया से तालमेल का जिम्मा विमल सुंबली व जसपाल ढिल्लों संभालेंगे। हालांकि इसकी ओवरआल जिम्मेदारी उनके पुराने सहयोगी भरत इंद्र सिंह चाहल को सौंपी जा सकती है।
अमरिंदर चाहे सभी को साथ लेकर चलने की बात कह रहे हों लेकिन यह तय है कि प्रताप सिंह बाजवा और राजिंदर कौर भट्ठल के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा बरकरार रहेगा। इनमें भी केवल भट्ठल के किसी एक समर्थक को वह साथ ले सकते हैं जबकि बाजवा के किसी करीबी समर्थक को अमरिंदर की टीम में जगह मिलना मुश्किल है। अलबत्ता, ऐसे संकेत हैं कि जगमीत बराड़ को जरूर अमरिंदर साथ लेकर चलेंगे। वह मालवा के मुक्तसर, फरीदकोट आदि जिलों में बराड़ के प्रभाव का फायदा उठाएंगे।
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लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू और संगरूर के पूर्व सांसद विजय इंद्र सिंगला ने पिछले दो साल से कैप्टन अमरिंदर से दूरी बना रखी थी। ऐसा उन्होंने राहुल-अमरिंदर के संबंध सही नहीं होने के कारण किया। वे अमरिंदर से नजदीकी दिखाकर पार्टी नेतृत्व को नाराज नहीं करना चाहते थे। यहां तक कि कई सार्वजनिक समारोहों तक में बिट्टू ने अमरिंदर से दुआ-सलाम तक नहीं की और उनसे मिलने से कतराते रहे।
दूसरी ओर उनके चचेरे भाई विधायक गुरकीरत सिंह कोटली हमेशा अमरिंदर के साथ डटे रहे। यही वजह है कि हाईकमान ने बिट्टू को चाहे कैंपेन कमेटी का कन्वीनर बना दिया है लेकिन बताया जाता है कि अमरिंदर कोटली पर ही आशीर्वाद रखेंगे। इनके अलावा, पूर्व विधायक सुखपाल सिंह खैहरा व जसबीर सिंह डिंपा भी किनारे ही रख सकते हैं, क्योंकि उन्होंने भी बीते सालों में अपनी निष्ठा बदल ली थी।
बठिंडा में पदभार संभालेंगे अमरिंदर
बठिंडा में अकाली दल की सद्भावना रैली के बराबर रैली करने की अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल की चुनौती स्वीकार कर चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रदेश कांग्रेस प्रधान का पदभार अब बठिंडा में संभालेंगे। हालांकि अभी इसकी तारीख का ऐलान नहीं किया गया है। माना जा रहा है कि 10 दिसंबर के आसपास बठिंडा में रैली के दौरान वह पदभार संभालेंगे।
नई दिल्ली में कैप्टन अमरिंदर से मिले वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने यह फैसला किया है। इन नेताओं का कहना है कि पदभार संभालने के लिए समारोह के दौरान बड़ी संख्या में लोगों के पहुंचने के आसार हैं और चंडीगढ़ स्थित पंजाब कांग्रेस भवन इतनी भीड़ को नहीं संभाल सकता। इस कारण इस समारोह को बठिंडा रैली के रूप में आयोजित किया जाएगा।
इससे पहले, कैप्टन अमरिंदर 2 दिसंबर को अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब, श्री दुर्गयाना मंदिर और श्री रामतीर्थ में माथा टेकने जाएंगे। बठिंडा रैली के जरिए अमरिंदर समर्थक शक्ति प्रदर्शन करने के मूड में हैं। इस रैली में केंद्र से भी कई नेता पहुंचेंगे।