कमलनाथ के इस्तीफे पर कांग्रेसियों ने कन्नी काटी, शिअद बोली-दबाव का असर
पंजाब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कमलनाथ के इस्तीफे पर कांग्रेसी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं, जबकि शिअद इसे दबाव का असर बता रही है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब के कांग्रेसी पंजाब कांगे्रस के नवनियुक्त प्रभारी कमलनाथ के इस्तीफे पर कुछ भी बोलने से कन्नी काटते रहे। कुछ ने नाम न छापने की शर्त पर तर्क दिया कि कमलनाथ ने महासचिव पद से इस्तीफा दिया है, इस वजह से प्रदेश प्रभारी पद के लिए अयोग्य हो गए। कांग्रेस में महासचिव को ही प्रदेश प्रभारी बनाने की परंपरा रही है।
प्रदेश के कांग्रेसी यह भी कहते हैं कि मामला पार्टी हाईकमान व कमलनाथ के बीच का है। इस पर टिप्पणी जायज नहीं है। शिअद महासचिव व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि शिअद का दबाव रंग लाया। शिअद ने आम लोगों की भावनाओं को खुलकर रखा। उन्होंने कहा कि कमलनाथ के हटने के बाद कांग्रेस किसी को भी प्रभारी बनाएं 84 दंगे के दाग को धोया नहीं जा सकता है।
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अब कांग्रेस को सोच-समझकर ढूंढना होगा नया प्रभारी
प्रदेश के कांग्रेसी जो कुछ भी कहें इस प्रकरण से यह तय हो गया है कि अब कांग्रेस हाईकमान को काफी सोच-समझकर प्रदेश प्रभारी का चयन करना होगा। ऐसे नेता को ढूंढऩा होगा जिनकी छवि पंजाब के मद्देनजर बेदाग हो।
कमलनाथ का विरोध क्यों?
कमलनाथ पर 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे के दौरान हथियारबंद लोगों का नेतृत्व करने का आरोप शिअद व एसजीपीसी लगाते रहे हैं। उनका आरोप है कि एक नवंबर 1984 को दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारे में भीड़ द्वारा किए गए हमले की अगुवाई कमलनाथ ने की थी, जिसमें कई निर्दोष सिखों की जान गई थी। हालांकि इन आरोपों पर नानावती आयोग कमलनाथ को क्लीन चिट दे चुका है।