पंजाब पुलिस में कितने अधिकारी व कर्मचारी दागी, हाई कोर्ट ने अतिरिक्त गृह सचिव से मांगी रिपोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के अतिरिक्त गृह सचिव से पुलिस में सभी पदों पर कितने दागी अफसर व कर्मचारी हैं इसकी रिपोर्ट मांगी है। पंजाब सरकार ने केवल निचले स्तर के अधिकारियों के बारे में ही कोर्ट में जानकारी दी थी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य के अतिरिक्त गृह सचिव को आदेश दिया कि वह 16 नवंबर तक हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दें कि पुलिस में सभी पदों पर कितने दागी पुलिस कर्मचारी या अधिकारी तैनात हैं। सभी की वर्तमान तैनाती के साथ ही उनका पूर्ण विवरण भी मांगा है।
मामले में याचिकाकर्ता के वकील बलबीर सैनी ने बेंच को बताया कि पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट के आदेश पर पंजाब के उप गृह सचिव विजय कुमार ने हाई कोर्ट में हलफनामा देकर 822 पुलिस कर्मियों को दागी बताया था। जिसमें करीब 18 इंस्पेक्टर, करीब 24 एसआइ और करीब 170 एएसआइ हैं। शेष हेड-कांस्टेबल व कांस्टेबल हैं।
सैनी ने कहा कि यह केवल निचले स्तर के अधिकारी हैं। पीपीएस और आइपीएस अधिकारियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। जिस पर हाई कोर्ट ने अब अतिरिक्त गृह सचिव को आदेश दिया है कि वह सभी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामले, एफआइआर में जांच के स्टेटस और यह कर्मी व अधिकारी जहां तैनात हैैं, इसका पूरा ब्यौरा दिया जाए।
वकील सैनी ने हाई कोर्ट को बताया कि उप सचिव व इससे पहले मोगा के एसएसपी द्वारा दिए गए हलफनामे में काफी विरोधाभास है। एसएसपी ने माना था कि पुलिस में ऐसा कोई कर्मी नहीं जिसके खिलाफ एफआइआर दर्ज हो और वह सेवा में है। जबकि उप सचिव का हलफनामा कुछ और ही जानकारी दे रहा है। हाई कोर्ट के जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने पंजाब सरकार से उन सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की जानकारी मांगी थी जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हैं और वह अब भी सेवा में हैं।
कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया था कि वो यह भी जानकारी दे कि इस समय वो कर्मी कहां तैनात हैं, उनके खिलाफ किस तरह के मामले दर्ज हैं और अब उनका क्या स्टेटस है, लेकिन पंजाब सरकार ने कोर्ट को उच्च अधिकारियों की जानकारी नहीं दी। हाई कोर्ट ने यह आदेश बर्खास्त पुलिस कर्मी सुरजीत सिंह की ओर से अपनी बर्खास्तगी के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर दिया था।
कोर्ट को बताया गया था कि सुरजीत सिंह के खिलाफ दर्ज एक एफआइआर के कारण मोगा के एसएसपी ने उसे बर्खास्त करने के आदेश दे दिए हैं, जबकि आइजी फिरोजपुर रेंज ने उसके खिलाफ दर्ज एफआइआर के बाद 23 नवंबर 2018 में बहाल कर दिया था। इसके बावजूद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। याचिका में उसने कहा था कि पुलिस में ऐसे कई अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह अब भी सेवा में हैं। ऐसे में उसे बर्खास्त किया जाना भेदभावपूर्ण है। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार सहित अन्य सभी प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।