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बिल बढ़ाने के लिए डॉक्टरों ने मृत बच्चे को रख लिया छह दिन वेंटीलेटर पर

अस्पताल प्रबंधन ने मरीज का बिल बढ़ाने के लिए मृत बच्चे को वेंटीलेटर पर रख दिया। इसका पता जब परिजनों को चला तो उन्होंने जमकर हंगामा मचाया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 06:13 PM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 06:54 PM (IST)
बिल बढ़ाने के लिए डॉक्टरों ने मृत बच्चे को रख लिया छह दिन वेंटीलेटर पर

जेएनएन, चंडीगढ़। चंद पैसों के लिए सेक्टर-44 स्थित एक अस्पताल प्रबंधन ने मानवीयता को तार-तार कर दिया। जिस बच्चे की मौत एक दिन पहले हो गई थी अस्पताल प्रबंधन ने उसे कमाई का जरिया बना दिया। डॉक्टरों ने मरीज का बिल बढ़े इसके लिए बच्चे को वेंटीलेटर पर रख दिया और परिजनों को नहीं बताया कि बच्चा मर चुका है। इस पर परिजनों ने विरोध जताया तो सेक्टर-34 पुलिस अस्पताल पहुंची। बाद में शव का पोस्टमार्टम करवाया गया। पुलिस का कहना है कि मामले की डीडीआर दर्ज की गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।

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अंबाला निवासी राजिंद्र ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने 15 दिन का चार लाख रुपये बिल बना दिया। राजिंद्र ने बताया कि सात अक्तूबर को वह अपने 22 दिन के बेटे को शुगर कम होने की वजह से सेक्टर-44 स्थित निजी अस्पताल में ले आया। डॉक्टरों ने कहा कि पांच छह दिन के इलाज के बाद बच्चे को डिस्चार्ज कर देंगे। परिजनों के मुताबिक दो दिन बाद ही डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की हालत बिगड़ गई है और उसको वेंटिलेटर पर रखा गया है। इसके बाद बच्चे को वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा। दो दिन वेंटिलेटर पर रखने के बाद बच्चे को आइसीयू में रखा गया।

पूछते तो कहते, नींद का इंजेक्शन दिया है

राजेंद्र ने बताया कि 16 अक्तूबर को उनको अस्पताल से फोन आया कि जल्दी अस्पताल आ जाओ। अस्पताल पहुंचने पर उनको बताया गया कि हाई फ्रीक्ेवंसी पर वेंटिलेटर पर रखा गया है। परिजनों का आरोप है कि तब से बच्चा बेसुध ही पड़ा रहा। जब डॉक्टरों को पूछते थे तो वे कहते थे कि बच्चे को नींद का इंजेक्शन दिया हुआ है।

बच्चे का शरीर फूला हुआ था

बच्चे के पिता ने बताया कि वीरवार को जब उन्होंने बच्चे को देखा तो उसका शरीर फूला हुआ था। बच्चे में कोई हलचल नहीं थी। परिवार वालों को परेशान देखकर अस्पताल के ही किसी व्यक्ति ने बताया कि आप लाखों रुपये फीस भर चुके हैं आप पहले अपने बच्चे का स्टेटस तो जान ले। जिस पर परिवार को शक हुआ। जब उन्होंने कहा कि वे बच्चे को कहीं बाहर दिखाना चाहते हैं तो अस्पताल प्रशासन ने कहीं जाने नहीं दिया।

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शनिवार को जब उन्होंने अस्पताल पर बाहर से इलाज करवाने का दबाव बनाया तो रात को 9 बजे डॉक्टरों ने कहा कि बच्चे की मौत हो चुकी है। राजेंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि बच्चे की मौत काफी पहले हो चुकी थी लेकिन अस्पताल ने फीस के चक्कर में इतने दिन बच्चे को अस्पताल में रखा। परिवार का कहना है कि 15 दिन में अस्पताल में बच्चे के इलाज पर 4 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च किया।

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रिकार्ड कब्जे में लिया है

मृतक बच्चे के परिजनों ने शनिवार रात ही सेक्टर 34 पुलिस स्टेशन में जाकर अस्पताल के खिलाफ शिकायत दे दी थी। जांच अधिकारी एसआइ नरिंदर सिंह ने बताया कि नवजात बच्चे की मौत के मामले में पुलिस ने डीडीआर दर्ज कर अस्पताल से बच्चे के इलाज से जुड़ा रिकार्ड कब्जे में ले लिया है। जांच पूरी होने के बाद मामले में एफआइआर दर्ज की जाएगी।


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