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बदल दिया पीयू ने सोचने का नजरिया : जस्टिस खेहर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस खेहर ने पंजाब यूनिवर्सिटी में बिताए अपने 11

By Edited By: Published: Sat, 01 Oct 2016 05:45 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2016 05:45 PM (IST)
बदल दिया पीयू ने सोचने का नजरिया : जस्टिस खेहर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेएस खेहर ने पंजाब यूनिवर्सिटी में बिताए अपने 11 साल को याद करते हुए पूरी साफगोई से मौजूद लोगों के सामने अपना दिल खोल दिया। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में बिताए करीब एक दशक ने उनका सोचने का न केवल नजरिया ही बदल दिया बल्कि यह भी सिखा दिया कि किस तरह सही सोच के साथ आगे बढ़ना है। परिस्थितियों से दौड़े नहीं बल्कि उनका सामना करें। डिग्री लेने के बाद युवाओं को अपने नए सफर के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि इन्हीं में से आगे चलकर इस देश के बड़े कानूनविद होंगे। फैकल्टी ने तुम्हें पूरी तरह से हुनरमंद बनाया है, लिहाजा इस ज्ञान का उपयोग कर अपनी दिशा तय करो। देश के कानून में सहयोग करो या विभिन्न कंपनियों में बड़े ओहदों पर काम करो, चुनाव तुम्हारा है। वह पंजाब यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित दीक्षांत समारोह में शनिवार को थ्री ईयर लॉ यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ लीगल स्टडीज, रीजनल सेंटर मुक्तसर, लुधियाना और होशियारपुर के 500 से ज्यादा स्टूडेंट्स को शनिवार को जिम्नेजियम हॉल में वह बतौर मुख्य अतिथि लॉ की डिग्री प्रदान करने पहुंचे थे। इस मौके पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसजे वजीफदार समेत हाईकोर्ट के कई जज मौजूद रहे।

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सब कुछ यूनिवर्सिटी की बदौलत

जस्टिस खेहर ने कहा कि 1974 से 1977 तक वे लॉ विभाग में बैचलर डिग्री के लिए दाखिल हुए। 1977 से 79 तक उन्होंने एलएलएम की डिग्री हासिल की और 1980 से 1986 तक बतौर फैकल्टी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। तब उन्हें छह सौ रुपये मासिक वेतन के मिला करते थे। इसी पैसे से वे फिल्म देखने जाते थे। रेस्टोरेंट में जाते थे। उन्हें जब बतौर मुख्य अतिथि लॉ विभाग के कार्यक्रम में आने का निमंत्रण मिला तो वे भावविभोर हो गए क्योंकि जो कुछ भी वे हैं आज इसी यूनिवर्सिटी की बदौलत हैं। जब यूनिवर्सिटी में थे तो हॉस्टल इत्यादि मिलने में इतनी समस्या नहीं थी।

डॉक्टर नहीं लॉयर नंबर वन

जस्टिस खेहर ने कहा कि उनके साथी जस्टिस सिंघवी कहा करते थे कि डॉक्टर सबसे बेस्ट हैं और लॉयर यानी वकील दूसरे नंबर पर आते हैं लेकिन उनका मानना है कि लॉयर पहले नंबर पर हैं क्योंकि डॉक्टर के पास मरणासन्न अवस्था में पहुंचा व्यक्ति तो मर जाएगा लेकिन लॉयर के पास ऐसे व्यक्ति पहुंचते हैं जो जिंदगी की मुश्किल परिस्थितियों से हारकर रोज मरते हैं और वकील उनकी समस्या का स्थायी निदान करता है।

जीके चतरथ के नाम पर स्कॉलरशिप व मेडल

लॉ विभाग की डीन अनु चतरथ ने दीक्षांत समारोह को शुरू करने की घोषणा करते हुए कहा कि कार्यक्रम में जस्टिस खेहर के अलावा हाईकोर्ट के करीब 18 सिटिंग जजों ने पहुंचकर विद्यार्थियों को प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि लॉ विभाग के 350, यूआइएलएस के 175, पीयूआरसी लुधियाना के 50, पीयूआरसी होशियारपुर के 15 और पीयूआरसी मुक्तसर के 10 स्टूडेंट्स को डिग्री दी गई। वाइस चांसलर प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने कहा कि यूनिवर्सिटी का पुनर्गठन एक अक्टूबर को हुआ था और आज ही के दिन 42 साल तक सीनेट सदस्य रहे स्वर्गीय गोपाल कृष्ण चतरथ जिन्होंने यूनिवर्सिटी को बेहतर से बेहतरीन बनाने के लिए हरसंभव योगदान दिया का जन्मदिन भी है लिहाजा यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। गोपाल कृष्ण चतरथ के नाम पर टॉपर्स के लिए दो 5100-5100 रुपये की स्कॉलरशिप दी गई जबकि टॉपर्स को ही दस मेडल देने की भी शुरुआत की गई। आगे भी यह परंपरा जारी रहेगी।


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