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पीजीआइ के सुपर स्पेशिएलिटी डॉक्टरों की मदद लेने को तैयार नहीं यूटी प्रशासन

साजन शर्मा, चंडीगढ़ : यूटी प्रशासन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से

By Edited By: Published: Sun, 28 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 28 Aug 2016 01:00 AM (IST)
पीजीआइ के सुपर स्पेशिएलिटी डॉक्टरों की मदद लेने को तैयार नहीं यूटी प्रशासन

साजन शर्मा, चंडीगढ़ : यूटी प्रशासन लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पीजीआइ प्रशासन के साथ शहर के दो प्रमुख अस्पतालों में सुपर स्पेशिएलिटी तैनात करने का मसला अभी तक लटका पड़ा है। पीजीआइ के वर्तमान व पूर्व डायरेक्टरों ने इसको लेकर यूटी प्रशासन के साथ कई मर्तबा विचार विमर्श भी किया, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला। पीजीआइ में लगातार बढ़ रही भीड़ की एक प्रमुख वजह यह भी है कि गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सेक्टर-32 व गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी अस्पताल सेक्टर-16 में सुपर स्पेशिएलिटी ही नहीं है।

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सामान्य बीमारियों का तो इलाज है, गंभीर का नहीं

सामान्य बीमारियों का इलाज तो इन अस्पतालों में कर दिया जाता है, लेकिन अगर किसी को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाओं की जरूरत हो तो वह यहां नहीं मिल पाती। जीएमसीएच-32 में हालांकि हाल ही में हार्ट के मरीजों को जरूर थोड़ी राहत मिली है, जिनका यहां संपूर्ण उपचार व ऑपरेशन इत्यादि होने शुरू हो गए हैं। पीजीआइ के पेशेंट लोड पर भी इससे काफी असर पड़ा है और इसमें कमी आई है। ठीक इसी तर्ज पर जीएमएसएच-16 व 32 में सुपर स्पेशिएलिटी की सेवाएं उपलब्ध कराए जाने की सख्त जरूरत है।

सप्ताह में दो दिन डॉक्टर उपलब्ध कराने पर करना था काम

पीजीआई के पूव डायरेक्टर प्रो. केके तलवार व हाल के डायरेक्टर प्रो. वाइके चावला के साथ यूटी के पूर्व एडवाइजर व हेल्थ सचिवों ने बैठक कर यह राय रखी थी कि जीएमसीएच-32 व 16 में एक सप्ताह में दो दिन सुपर स्पेशिएलिटी उपलब्ध कराने के प्रावधान पर काम किया जाए। इसकी व्यापक योजना तैयार की जाए। यह इसलिए करने पर सहमति बनी थी ताकि पीजीआइ में लगातार बढ़ रहे मरीजों के ओवरलोड को घटाया जा सके। पीजीआइ प्रशासन की बीते कई सालों से लगातार यह शिकायत रहती है कि मरीजों के बढ़ रहे लोड के फ्लो को घटाया जा सके। यूटी प्रशासन की बात करें तो जीएमसीएच-32 व 16 अस्पताल के पास बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर है। यहां मरीजों की संख्या भी बहुत है लेकिन सुपर स्पेशिएलिटी के मरीजों को देखने के मामले में पीजीआइ रेफर करना ही एक विकल्प बनता है।

अपने स्तर पर पहले भी पीजीआइ ने शुरू की थी कोशिशें

पीजीआइ ने अपने स्तर पर भी कई कोशिशें शुरू की थी। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में बदलाव किए गए और मरीजों को टोकन नंबर प्रदान किए गए ताकि इसके अनुरूप पेशेंट ओपीडी में डॉक्टर को दिखा सकें। हालांकि पीजीआइ का यह पैंतरा भी मरीजों की ओपीडी में संख्या घटाने में कुछ काम न आया। दूसरा पंजाब व हरियाणा की सरकारों से भी इस बात को लेकर काफी देर से बातचीत चल रही है कि जिला अस्पतालों से जो मरीज रेफर किए जाते हैं, उन्हें केवल और केवल गंभीर होने पर ही रेफर किया जाए, वरना जिला अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर वहीं इलाज किए जाएं। पंजाब व हरियाणा की सरकारों ने भी अब तक पीजीआइ की सलाह को ठेंगे पर रखा है।

पीजीआइ के डॉक्टर अपने आप तो इन अस्पतालों में जा नहीं सकते

पीजीआइ के डायरेक्टर प्रो. वाइके चावला ने बताया कि पीजीआइ अब जीएमसीएच-32 व 16 या यूटी हेल्थ प्रशासन से जाकर अनुरोध तो नहीं करेगा कि आप हमें प्लान बताओ। इन मसलों पर बीते काफी समय से बातचीत चल रही थी लेकिन पता नहीं योजना क्यों सिरे नहीं चढ़ पाई। पीजीआइ यूटी हेल्थ प्रशासन की हर तरीके से मदद करने को तैयार है। अब अपने आप से तो सुपर स्पेशिएलिटी डॉक्टरों को इन अस्पतालों में तो भेजा नहीं जा सकता?


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