मॉडल नूर कटारिया को भगोड़ा करार दिए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चर्चित अनुराधा मर्डर केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले उनके पति बलजिंदर सि
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : चर्चित अनुराधा मर्डर केस में उम्रकैद की सजा पाने वाले उनके पति बलजिंदर सिंह उर्फ टाला की कथित मॉडल दोस्त नूर कटरिया के 8 वर्ष पुराने फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस मामले में जिला अदालत ने नूर को भगोड़ा करार दिए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। दिसंबर 2014 में नूर को मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था। जिसके बाद बरी किए जाने के खिलाफ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से अपील दायर की गई थी। अपील पर 21 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान नूर के अदालत में पेश नहीं होने पर उसके गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे, इसके बाद शनिवार को भी वह मामले की सुनवाई के दौरान पेश नहीं हुई। पेश नहीं होने पर अदालत ने नूर के भगोड़ा करार किए जाने की प्रक्रिया शुरू के निर्देश दिए। उधर, नूर के वकील तरमिंदर सिंह ने कहा कि उनकी क्लाइंट के प्रति अदालत सख्त दिखाई दी जिसके एक बार पेश नहीं होने पर गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए गए, वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
गिरफ्तारी के समय थी सेक्टर-11 कॉलेज की स्टूडेंट
फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस रखने के आरोप में नूर को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था। जिसे पिछले वर्ष दिसंबर में मजिस्ट्रेट कोर्ट से साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया था। घटना के वक्त वक्त नूर कटारिया राजकीय कॉलेज सेक्टर-11 में बीए दूसरे वर्ष की छात्रा थी। वहीं, अनुराधा की हत्या की वजह के पीछे नूर और टाला के कथित प्रेम संबंध होना बताया गया था।
फ्लैट की जांच के दौरान पुलिस ने बरामद किए थे दस्तावेज
अभियोजन पक्ष के आरोप के मुताबिक नूर कटारिया सेक्टर-38 में बलजिंदर के फ्लैट में ठहरी थी। फ्लैट की जांच पड़ताल के दौरान पुलिस ने कुछ दस्तावेज बरामद किए थे। इनमें नूर के अमृतसर के पते पर आधारित एक ड्राइविंग लाइसेंस की प्रति बरामद की गई थी। पुलिस जांच में सामने आया था कि नूर उस पते में नहीं रही थी, जिसने फर्जी पते पर लाइसेंस हासिल किया था।
अनुराधा हत्याकांड मामले में मुकर गई थी
जबकि अनुराधा हत्याकांड केस में वह मुकर गई थी। अदालत ने उसे जालसाजी के मामले में बरी किया था। बचाव पक्ष की दलील थी कि फर्जी लाइसेंस का जो आरोप लगाया गया था, वो गलत था। जबकि उसके पास चंडीगढ़ का लाइसेंस था, उसे उसके नाम के अन्य किसी लाइसेंस के बारे में नहीं मालूम था। पुलिस ने उसके पास से कोई फर्जी लाइसेंस बरामद नहीं किया था।
पुलिस ने लगाया था फर्जी लाइसेंस के सहारे सिम लेने का आरोप
पुलिस का यह भी आरोप था कि उस लाइसेंस पर उसने मोबाइल सिम लिया था, जबकि बचाव पक्ष की दलील थी कि प्री-पेड मोबाइल नंबर का कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था। जबकि मोबाइल फार्म और उसकी फोटो भी खो गई थी, उसने किसी फार्म पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।