सीबीएसइ के निर्देशों के बाद भी बच्चों की सुरक्षा के लिए नहीं उठाए गए कदम
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर के ज्यादातर सरकारी स्कूलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। शहर में इस समय
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर के ज्यादातर सरकारी स्कूलों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। शहर में इस समय एक सौ ग्यारह सरकारी स्कूल हैं। एक तरफ से केंद्र की तरफ से स्मार्ट स्कूल, स्मार्ट क्लास रूम और स्मार्ट एजुकेशन देने की बात की जा रही है, वहीं, प्रशासन का शिक्षा विभाग सुरक्षा के नाम पर फेल साबित होता जा रहा है। पिछले साल पाकिस्तान के पेशावर के स्कूल में आतंकवादी हमले के बाद सीबीएसइ की तरफ से निर्देश जारी किए गए थे कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाने चाहिए। निर्देश सीबीएसइ ने पूरे देश के स्कूलों को दिए थे लेकिन सिटी ब्यूटीफुल के स्कूलों में ये आदेश हवा में ही रह गए।
ये थे निर्देश
-स्कूल को कवर करते हुए सीसीटीवी लगाना
-दीवारों को पाच फुट तक ऊंचा करने के साथ कंटीले तार लगाना
-सुरक्षा के मद्देनजर हर स्कूल के गेट पर आने वाले का पंजीकरण करना
-गेट पर ही एमरजेंसी नंबरों का लिखा होना
-लैंडलाइन फोन का होना
-स्कूल को चारों तरफ से कवर करते हुए स्ट्रीट लाइटों का लगाना
-छुट्टी के समय पीसीआर की स्पेशल गाड़ी का खड़ा होना
गेट पर खड़ा होता है सिर्फ एक नुमाइंदा, उसके पास भी फोन नहीं
सीबीएसइ के निर्देशों के बाद इन्हें लागू करने में शिक्षा विभाग फिसड्डी साबित हुआ है। गेट पर गेटकीपर के नाम पर मात्र एक ही व्यक्ति को तैनात किया जाता है, जोकि पूरे स्कूल टाइम में खड़ा रहता है। इसके अलावा कंटीले तार के बिना शहर के कई स्कूल हैं। इनकी कमी में कई बार स्कूलों का सामान तक चोरी हो चुका है। स्कूल गेट पर कोई भी एमरजेंसी नंबर नहीं लिखे गए है और न ही उनके पास अपना कोई लैंडलाइन नंबर होता है, जिस पर आपात स्थिति में कॉल कर सके।
तीन स्कूलों ने थोड़ा कवर किया, पुरानों में हालात बदतर
जहां पर स्कूलों को कवरअप देतीं स्ट्रीट लाइटों का सवाल था तो वह मात्र पिछले साल में बने तीन स्कूलों के अलावा पुराने किसी भी स्कूल में नहीं लग पाई है। कैमरों की बात करें तो उनको लगाया गया है लेकिन वह या तो प्रिंसिपल ऑफिस में हैं या फिर खेल के मैदान मे। उन कैमरों की विजिबिलिटी इतनी कम है कि फु ल लैंथ पर उनकी कवरेज नहीं हो पाती है। यदि कोई वारदात होती भी है तो आरोपी को पहचाना बहुत ही मुश्किल काम है।
आपस में भिड़ चुके हैं छात्र, एक को तो प्रिंसिपल के सामने पीटा था
स्कूलों में उपयुक्त सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण कई बार वारदात हो चुकी हैं। 2014 के दौरान सीनियर सेकेंडरी स्कूल सेक्टर-45 के स्कूल में एक युवक ने जबरदस्ती घुसते हुए पहले क्लास रूम और उसके बाद छात्र को प्रिंसिपल ऑफिस में स्टाफ के सामने पीटा था। उसके बाद सेक्टर-27 में भी ऐसा ही मामला देखने को मिला कि क्लास रूम में छात्रों के बीच लड़ाई हुई लेकिन कोई भी अध्यापक या फिर कोई अन्य कर्मचारी उसे रोकने में सफल नहीं हो पाया। ऐसे केसों के होने के बाद स्कूलों की तरफ से भी सुरक्षा की मांग की जाती रही है लेकिन उस सब के बाद अभी भी हालात भगवान भरोसे ही है।
लाइटें लगाना इंजीनियरिंग विंग का काम
सीसीटीवी काफी हद तक स्कूलों में लगाए जा चुके हैं लेकिन सीबीएसइ के निर्देशों को मानने के लिए बहुत ज्यादा कैमरों की जरूरत है और उसे पूरा करने के लिए फंड की। बाकी इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी से ली जा सकती है। गेट पर गेट कीपर और एमरजेंसी नंबरों के होने के बारे में विचार किया जा सकता है। इसके अलावा दीवारों पर कंटीले तार का लगाना और स्ट्रीट लाइटें लगाना इंजीनियरिंग विंग का काम है।
-चंचल सिंह, डीपीआइ-2