Move to Jagran APP

दस दिन में स्कूल वाहनों के लिए पॉलिसी हो तैयार : हाईकोर्ट

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्कूल बसों के लिए पॉलिसी त

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 09:37 PM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 09:37 PM (IST)

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़

loksabha election banner

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्कूल बसों के लिए पॉलिसी तैयार न होने पर यूटी प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि दस दिन के भीतर प्रशासन इन बसों के लिए पॉलिसी तैयार करे, यदि प्रशासन ऐसा करने में नाकाम रहता है तो सचिव ट्रासपोर्ट अगली सुनवाई के दौरान खुद हाजिर होकर जवाब दाखिल करें।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यूटी में बसों की अनियमितताओं को लेकर याची पक्ष की ओर से कहा गया कि दूसरे प्रदेशों की कंडम बसों को खरीद कर स्कूल इसे चलाने के लिए ड्राईवरों को ठेका दे देते हैं और ऐसे में यदि कोई खामी सामने आती है तो ठेकेदार को जिम्मेदार करार दे दिया जाता है। हाईकोर्ट ने इस पर डीपीआइ और संबंधित अधिकारियों के साथ प्राईवेट स्कूल बस एसोसिएशन को निर्देश दिए कि वे सभी बसों के नंबर और उनके रजिस्ट्रेशन से जुड़ी जानकारी अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में दाखिल करें। साथ ही स्कूल बसों के लिए पॉलिसी न होने के चलते प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि यह शर्म की बात है कि छह साल से हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है लेकिन अभी तक प्रशासन कोई ठोस पॉलिसी नहीं लाया है। इस प्रकार के ढीले ख को सहन नहीं किया जाएगा। दस दिन के भीतर प्रशासन ठोस पॉलिसी के साथ सामने आए । हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए की गई सीटीयू बसों की व्यवस्था पर भी प्रशासन को फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि यह व्यवस्था अब नाममात्र की रह गई है। ऐसे में डीपीआइ स्कूल और जीएम सीटीयू हलफनामा दाखिल कर बताएं कि कितने छात्रों को रोजाना इस सुविधा का लाभ दिया जा रहा है। साथ ही यदि यह लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है तो इसके दोषी अधिकारी का नाम भी हाईकोर्ट में सौंपा जाए।

स्कूल बसों की अधिकतम आयु के बारे हलफनामा दाखिल करे प्रशासन

हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को यह निर्देश दिए कि स्कूल बसों को अधिकतम कितने समय तक चलाने को मंजूरी दी जाती है इस बारे में उनकी पॉलिसी को स्पष्ट किया जाए। इस बारे में स्कूल बस एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि वाहनों की उम्र को किलोमीटर में न मान कर वर्ष में देखा जाए। हाईकोर्ट ने कहा कि एक बार ब्यौरा आने के बाद इसपर विचार किया जाएगा और उसके बाद आगे आदेश जारी किए जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.