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हरसिमरत को फूड प्रोसेसिंग मिलने से पंजाब को फायदा

By Edited By: Published: Tue, 27 May 2014 01:08 AM (IST)Updated: Tue, 27 May 2014 01:07 AM (IST)
हरसिमरत को फूड प्रोसेसिंग मिलने से पंजाब को फायदा

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरसिमरत कौर बादल को प्रोसेसिंग मंत्रालय मिलने से पंजाब को फायदा हो सकता है। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री बादल ने यह मंत्रालय खुद प्रधानमंत्री मोदी से मांगा था।

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यूं तो बादल ने पांच दिन पूर्व ही स्पष्ट कर दिया था कि अकाली दल एनडीए सरकार में कोई पद नहीं मांगेगा और यह प्रधानमंत्री का अधिकार है कि किसे मंत्री बनाना है और किसे नहीं। मगर दो दिन पूर्व जब मोदी व राजनाथ सिंह के साथ उनकी मुलाकात हुई तभी उन्हें बता दिया गया था कि हरसिमरत कौर बादल को मोदी सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। इसके बाद ही बादल ने सुखबीर बादल व हरसिमरत कौर बादल के साथ विचार-विमर्श करके मोदी के समक्ष फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय की मांग रखी थी। यह मंत्रालय चाहे अन्य राज्यों के लिए इतना हाई प्रोफाइल न माना जाता हो मगर पंजाब के लिए इस मंत्रालय का खास महत्व है।

पंजाब को फसली विभिन्नता की बड़ी जरूरत है और यह मंत्रालय इस क्षेत्र में सूबे को बहुत मदद दे सकता है। निश्चय ही यह बादल परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार लंबे समय से फूड प्रोसेसिंग को बढ़ाना देने की योजना तो बना रही है मगर यह बिना केंद्र की मदद के सिरे नहीं चढ़ सकती थी। पिछले दशक में भी इस क्षेत्र में पंजाब कोरा ही रहा है।

मंत्री कई रहे पर असरदार नहीं

पिछले दस साल के दौरान सूबे से आधा दर्जन मंत्री केंद्र में रहे मगर कोई भी अपने कद व वजूद को पंजाब के नजरिए से साबित नहीं कर पाया। मनमोहन सरकार में अंबिका सोनी, मनोहर सिंह गिल, अश्विनी कुमार, परनीत कौर, मनीष तिवारी और संतोष चौधरी केंद्र में मंत्री रहे हैं मगर कोई भी मंत्री अपने हलके या क्षेत्र के लिए कोई बड़ा प्रोजेक्ट लाने में नाकाम ही दिखा।

विरासत में मिली है सियासत

आज सभी हरसिमरत का पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की पुत्रवधू और उपमुख्यमंत्री व शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल की पत्नी के रूप में जानते हैं। दरअसल उन्हें सियासत की सीख विरासत में मिली है। वह मजीठिया परिवार की बेटी हैं। वह सरदार अतर सिंह मजीठिया, जोकि महाराजा रणजीत सिंह के सीनियर जनरलों में से एक थे, की पोती हैं।

काबिलियत का हर कोई कायल

उनकी काबिलियत के कारण ही पार्टी ने यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। पहली बार सांसद बनने के बाद उन्होंने पहली बार जब 2009 में लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया था, तभी से एनडीए के शीर्ष नेता भी उनके मुरीद हो गए थे। उन्होंने तब 1984 के सिख विरोधी दंगों पर भावुक भाषण देकर संसद को सन्न कर दिया था।

अंग्रेजी में ली शपथ

हरसिमरत कौर बादल परंपरागत पंजाबी ड्रेस में शपथ लेने पहुंची। केंद्र के हिसाब से उन्होंने पंजाबी की बजाय अंग्रेजी भाषा में शपथ ली।

पहले गुरुद्वारा साहिब में नमन

शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने नई दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब में माथा टेका।

फिर ससुर व पति का आशीर्वाद

इससे पहले जब वह घर से निकली तो दरवाजे पर ही मीडिया के सामने उन्होंने अपने ससुर प्रकाश सिंह बादल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद उन्होंने कुछ दूर खड़े सुखबीर बादल के भी पैर छुए।

अब गुरुघर में नवाएंगी शीश

हरसिमरत बादल मंगलवार को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने जाएंगी। उनके साथ सुखबीर बादल और अन्य पारिवारिक सदस्य भी होंगे।


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