खुशप्रीत के हत्यारों को आजीवन कारावास
चंडीगढ़, जासं। बुड़ैल में पांच वर्षीय बच्चे खुशप्रीत ¨सह के अपहरण और हत्या के साढ़े तीन वर्ष पुराने चर्चित मामले में शुक्रवार को अदालत ने तीन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने खुशप्रीत के पड़ोसी सुखदेव व उसके भाई गुरविंद्र सिंह उर्फ बिंदर के अलावा नौकर नंद किशोर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने सुखदेव व गुरविंद्र को हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, सबूत मिटाने तथा आपराधिक साजिश रचने जैसी धाराओं के तहत दोषी करार दिया था। दोनों को अदालत ने 86-86 हजार का जुर्माना भी ठोका है। नंद किशोर पर 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया। अदालत ने जुर्माना राशि पीड़ित परिवार को बतौर मुआवजा देने के निर्देश दिए। सजा के बाद बच्चे के पिता लखविंदर सिंह और चाचा सुखविंदर सिंह ने दोषियों को फांसी देने के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर करने की बात कही।
बुड़ैल के पांच वर्षीय खुशप्रीत ¨सह का उसके पड़ोसी दो भाइयों सुखदेव व गुर¨वद्र ने अपने नौकर नंद किशोर के साथ मिल 21 दिसंबर, 2010 को अपहरण कर लिया था। फिर 22 दिसंबर को इन्होंने खुशप्रीत के परिवार से 10 लाख रुपये फिरौती मांगी, जोकि घट कर चार लाख में तय हुई। पुलिस के ट्रैप के बावजूद आरोपी फिरौती लेकर भाग गए थे। इसके बाद पांच जनवरी को फेज-10 में खुशप्रीत का शव एक बैग में बरामद हुआ।
पुलिस ने जांच के बाद सुखदेव व गुर¨वद्र को 22 मार्च, 2011 को गिरफ्तार कर 30 अप्रैल को तीसरे फरार आरोपी नंद किशोर को यूपी से दबोचा था। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया था कि पहचाने जाने के डर से उन्होंने खुशप्रीत की हत्या कर दी।
फैसले से पहले दोषी व पीड़ित परिवार भिड़े :
खुशप्रीत हत्याकांड में दोषियों को सजा सुनाए जाने से पूर्व ही अदालत में हाई वोल्टज ड्रामा हो गया। नौबत यहां तक पहुंच गई कि दोषियों को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच सजा सुनानी पड़ी। यह घटना तब घटी जब एडवोकेट चहल सुखदेव व गुरविंद्र की पत्नी समेत उनके कुछ परिजनों को कोर्ट में उनसे मिलवाने ले आए। इसका खुशप्रीत के परिजनों ने विरोध किया। इस पर दोनों पक्षों में धक्कामुक्की हुई।